चना 1000 रुपए प्रति क्विंटल हुआ महंगा, भाव 5500 तक जाने की संभावना, जानिए तेजी की 5 वजहें

बिजनेस
आईएएनएस
Updated Sep 14, 2020 | 11:55 IST

दाल और बेसन की बढ़ती मांग से चने के दाम में जोरदार उछाल आया है। पिछले महीने से चने में तेजी का सिलसिला लगातार जारी है।

Chana becomes expensive by Rs 1000 per quintal, price likely to go up to 5500, know 5 reasons 
चना के दाम में उछाल 

नई दिल्ली : दलहनों में सबसे सस्ता चना आम उपभोक्ताओं के आहार में प्रोटीन का मुख्य जरिया होता है, लेकिन स्टॉक की कमी के अनुमान और त्योहारी सीजन में दाल व बेसन की बढ़ती मांग से चने के दाम में जोरदार उछाल आया है। बीते महीने से चने में शुरू हुई तेजी का सिलसिला लगातार जारी है। इस दौरान चना 1000 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से महंगा हो गया है और जल्द ही चने का भाव 5,500 रुपए प्रति क्विंटल तक जाने की संभावना जताई जा रही है।

कारोबारियों ने बीते रबी सीजन में चने के उत्पादन के सरकारी अनुमान पर संदेह जाहिर किया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से मई महीने में जारी फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान में देश में 109 लाख टन चना उत्पादन का आकलन किया गया था। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि व्यापारिक अनुमान के अनुसार, देश में बीते फसल वर्ष में चना का उत्पादन 85 लाख टन से ज्यादा नहीं है।

उत्पादन अनुमान में कमी से कीमतों में तेजी एक बड़ी वजह है। इसके अलावा, कोरोना काल में शुरू की गई मुफ्त अनाज वितरण योजना में चना को शामिल किए जाने से चने की खपत बढ़ गई है। चने में तेजी की तीसरी बड़ी वजह, मटर महंगा होने से बेसन में चने की मांग बढ़ गई और त्योहारी सीजन में दाल व बेसन की मांग को पूरा करने के लिए चने में मिलों की खरीदारी तेज चल रही है।

चने का भाव अभी भी तमाम दलहनों में सबसे कम है, इसलिए चना दाल अन्य दालों के मुकाबले सस्ती है और बरसात के सीजन में सब्जियां महंगी होने से चने में उपभोग मांग बनी हुई है जोकि इसके दाम में तेजी की चौथी बड़ी वजह है।

चने में तेजी की पांचवीं बड़ी वजह मटर का आयात पर रोक है। दलहन विशेषज्ञ अमित शुक्ला ने बताया कि भारत 20 से 25 लाख टन मटर का आयात करता था लेकिन इस साल आयात नहीं होने से मटर की मांग भी चने में शिफ्ट हो गई है क्योंकि देसी मटर का भाव इस समय 6,400 रुपए प्रति क्विंटल से भी उंचा है।

देश की राजधानी दिल्ली में चने का भाव एक अगस्त को 4,175 रुपए प्रति क्विंटल था जो कि शनिवार 12 अगस्त को बढ़कर 5,275 रुपए प्रति क्विंटल हो गया। अगस्त से लेकर अब तक चने का भाव 1,100 रुपए प्रति क्विंटल तेज हो गया है। शुक्ला ने बताया कि त्योहारी सीजन के चलते चने की लिवाली बनी हुई इसलिए जल्द ही दाम 5,500 रुपए क्विंटल को पार कर सकता है। उन्होंने कहा कि चने का स्टॉक कम होने से अगली फसल आने तक अभी लंबा वक्त है, जिससे कीमतों में तेजी बनी रहेगी, इसलिए आगे 6,000 रुपए प्रति क्विंटल तक भी भाव जा सकता है।

सुरेश अग्रवाल ने बताया कि नेफेड के पास चने का जो पुराना स्टॉक है वह हल्की क्वालिटी की है और खराब हो चुका है, जबकि इस सीजन में नेफेड ने करीब 22 लाख टन चना खरीदा है। नेफेड के स्टॉक से चने का उपयोग मुफ्त अनाज वितरण योजना में हो रहा है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत पीडीएस के प्रत्येक लाभार्थी परिवार को हर महीने एक किलो साबूत चना दिया जाता है। इस योजना के तहत जुलाई से लेकर नवंबर के दौरान करीब 9.70 लाख टन चने की खपत का अनुमान है।

उन्होंने कहा कि खरीफ सीजन की दलहनी फसलों के खराब होने की रिपोर्ट मिल रही है जिससे दलहनों के दाम को सपोर्ट मिल रहा है। अग्रवाल ने कहा कि निकट भविष्य में चने का भाव 5,400 रुपए प्रति क्विंटल तक जा सकता है, लेकिन सटोरियों की गिरफ्त में होने से चने के भाव इससे ज्यादा भी जा सकता है।

कृषि उत्पादों का सबसे बड़ा वायदा बाजार, नेशनल कमोडिटी एंड डेरीवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीएक्स) पर चने का सितंबर वायदा अनुबंध बीते शुक्रवार को 5,197 रुपए प्रति क्विंटल तक उछला जबकि 31 जुलाई को चने का भाव एनसीडीएक्स पर 4,123 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुआ था। इस प्रकार, करीब डेढ़ महीने में चने के दाम में 1,000 रुपए प्रति क्विंटल का उछाल आया है। केंद्र सरकार ने फसल वर्ष 2019-20 के लिए चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,875 रुपए प्रति क्विंटल तय किया था।

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