नयी दिल्ली। भारतीय रेलवे की महत्वाकांक्षी सेमी हाई-स्पीड स्वदेशी ‘ट्रेन-18’ (वंदेभारत ट्रेन) परियोजना के लिए आमंत्रित वैश्विक निविदा में बोली लगाने वाली चीनी सरकार के स्वामित्व वाली सीआरआरसी कॉरपोरेशन इकलौती विदेशी कंपनी है। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि इसके लिए कुल छह कंपनियों ने अपनी बोलियां जमा करायी है।
भारतीय रेल ने यह निविदा 44 वंदेभारत ट्रेन की विद्युत कर्षण किट या प्रणोदन प्रणाली की खरीद के लिए जारी की थी। इसमें गुरुग्राम की सीआरआरसी पॉयनीयर इलेक्ट्रिक (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड भी बोली लगाने वाली कंपनी है। यह चीन की सरकार के स्वामित्व वाली सीआरआरसी कॉरपोरेशन लिमिटेड का संयुक्त उद्यम है।इस परियोजना के लिए बोली लगाने वाली अन्य कंपनियों में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल), इलेक्ट्रोवेव्स इलेक्ट्रॉनिक प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई की पॉवरनेटिक्स इक्विमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और हैदराबाद की मेधा ग्रुप शामिल है।
अधिकारियों ने जानकारी दी कि पिछले साल पेश पहली ट्रेन-18 पर 100 करोड़ रुपये व्यय किए गए जिसमें से 35 करोड़ रुपये सिर्फ प्रणोदन प्रणाली पर खर्च हुए। मौजूदा निविदा इस तरह की 44 किट के लिए है जिसका मूल्य करीब 1,500 करोड़ रुपये है।रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने कहा, ‘‘ हमें ट्रेन सेट के लिए छह कंपनियों की ओर से बोलियां मिली हैं।’’
यह निविदा भारतीय रेल की चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्टरी (आईसीएफ) ने पिछले साल 22 दिसंबर को जारी की थी। इसे शुक्रवार को खोला गया। इन ट्रेनों के लिए यह इस तरह की तीसरी निविदा है। यह निविदा ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत ट्रेन-18 के विभिन्न उपकरण, कोच इत्यादि की खरीद के लिए निकाली गयी है।उल्लेखनीय बात यह है कि ट्रेन निर्माण करने वाली प्रमुख कंपनी बॉम्बारडियर, एल्स्टॉम, सीमेंस, सीएएफ, टैल्गो और मित्शुबिशी ने इस निविदा में हिस्सा नहीं लिया।
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