नई दिल्ली: देश में कोयला संयंत्रों (प्लांट) के पास केवल 4 दिन का कोयले का स्टॉक (10 अक्टूबर 2021) बचा है। देश में 16 प्लांट ऐसे हैं जिनके पास एक भी दिन का कोयले का स्टॉक नहीं है। देश के 135 प्लांट में से 110 प्लांट ऐसे हैं, जो कि कोयले की कमी की वजह से क्रिटिकल स्थिति में पहुंच चुके हैं। दिल्ली, पंजाब, केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक की सरकारों ने केंद्र को बिगड़ते हालात पर चेतावनी दे दी है। यही नहीं केरल, महाराष्ट्र ने तो नागरिकों से अपील की है कि वह बिजली की सावधानी से खपत करें। तो क्या भारत बिजली संकट की तरफ बढ़ रहा है? क्या चीन की तरह देश के कई इलाकों में अंधेरा छा सकता है ?
इस आशंका के बीच कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोल दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा है 'हम अचानक देश के पॉवर प्लांट में कोयला आपूर्ति के संकट की बात सुन रहे हैं। क्या एक खास निजी कंपनी इस संकट का फायदा उठा रही है। इसकी जांच कौन करेगा।' वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा है "पेट्रोल के बाद जेब पर गिरेगी, बिजली की कीमत। कोयले की आपूर्ति में भारी किल्लत कर दी है। साथ ही, बिजली नीति संशोधित कर दी। संशोधन के बाद साहेब और 'उनके मित्र' मनमर्जी रुपये/ यूनिट बिजली बेचेंगे।'
हालांकि केंद्रीय बिजली मंत्री आर.के.सिंह ने रविवार को कहा 'देश में बिजली की कोई कमी नहीं है, बेवजह भ्रम फैलाया जा रहा है। भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड को देश भर के पावर प्लांट को जरुरी गैस की आपूर्ति जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं। न तो पहले गैस की कोई कमी थी और न भविष्य में ऐसी कोई आशंका है।'
क्या कहती है 7 अक्टूबर की रिपोर्ट
सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की 7 अक्टूबर की रिपोर्ट के अनुसार देश के 135 में से 110 प्लांट कोयले के संकट का सामना कर रहे हैं। और क्रिटिकल स्थिति में पहुंच गए हैं। 16 प्लांट के पास एक भी दिन का कोयला स्टॉक में नहीं है। तो 30 प्लांट के पास केवल 1 दिन का कोयला बचा है। इसी तरह 18 प्लांट के पास केवल 2 दिन का कोयला बचा है। यानी स्थिति बेहद गंभीर हैं। इसमें हरियाणा और महाराष्ट्र के 3 प्लांट ऐसे हैं, जहां स्टॉक में एक भी दिन का कोयला नहीं है। इसी तरह पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार में एक-एक प्लांट ऐसे हैं, जहां एक दिन का स्टॉक बचा हुआ है। वहीं पश्चिम बंगाल के 2 प्लांट में ऐसी स्थिति है।
क्यों बिगड़ गए हालात
क्रिसिल की सितंबर की रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 के अप्रैल-सितंबर के दौरान बिजली की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है। साल 2020-21 में कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण मांग बहुत तेजी से गिरी थी। उस दौरान 2019-20 की तुलना में मांग (-19) फीसदी से लेकर 0 फीसदी की बीच आ गई थी। वह मई 2021 के दौरान 38 फीसदी बढ़ गई। तो अगस्त 2021 में 18 फीसदी बढ़ी है। अहम बात यह रही कि जुलाई-अगस्त के दौरान बिजली की मांग 200 गीगा वॉट को भी पार कर गई। जबकि ऐसी स्थिति कोरोना के पहले वाले दौर में भी नहीं थी। जिसका सीधा असर आपूर्ति पर पड़ा है।
गैस और पानी से बनने वाली बिजली ने बिगाड़े हालात
रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल से अगस्त 2021 के दौरान जब बिजली की मांग बढ़ी तो सबसे ज्यादा 23 फीसदी खपत कोयले आधारित प्लांट के जरिए बढ़ गई। हाईड्रो पॉवर प्रोजेक्ट से बिजली के उत्पादन की हिस्सेदारी 12-13 फीसदी से गिरकर 4 फीसदी पर आ गई। इसी तरह गैस की कीमतों में दोगुना बढ़ोतरी ने गैस से पैदा होने वाली बिजली में 27 फीसदी कम कर दिया। इसी तरह न्यूक्लीयर एनर्जी के दाम भी 2.5 गुना बढ़ गए। नतीजा यह हुआ है कि 2017-18 में पावर प्लांट के पास कोयले का औसत स्टॉक अप्रैल से अगस्त के दौरान 33-44 मिट्रिक टन हुआ करता था। वह 2021-22 में अगस्त के महीने में 17 दिन पर आ गया और बिजली मंत्रालय के अनुसार यह 4 दिन से थोड़ा ज्यादा (10 अक्टूबर) रह गया है।
महंगे कोयले से प्लांट ने कोयले का आयात कम कर दिया
क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार नॉन कोकिंग कोल की कीमतें मांग बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से बढ़ी हैं। ऑस्ट्रेलिया के कोयले की कीमत अगस्त 2021 में 150 डॉलर प्रति टन को भी पार कर गईं। जबकि इंडोनेशिया के कोयले की कीमत अगस्त 2021 में 50 डॉलर प्रति टन को भी पार कर गईं। इसकी वजह से भारतीय प्लांट जो अप्रैल 2020 में 5 मिट्रिक टन से ज्यादा कोयले का आयात कर रहे थे, वह अगस्त 2021 में 2 मिट्रिक टन से थोड़ा ही ज्यादा रह गया।
दुनिया भर में छाया संकट
ऐसा नहीं है कि ऊर्जा का संकट केवल भारत में है। इसका सामना यूरोप के देश भी कर रहे हैं। वहां पर प्राकृतिक गैस की आपूर्ति मांग के अनुसार नही है। जिसकी वजह से ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देश संकट का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा रिपोर्ट्स के अनुसार चीन के कई प्रांत ब्लैकआउट का सामना कर रहे हैं। चीन और भारत दोनों ही अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए कोयले पर सबसे ज्यादा निर्भर हैं। चीन दुनिया में सबसे ज्यादा कोयले का आयात करता है। जबकि भारत तीसरे नंबर पर है। वहीं, कोयले के उत्पादन के मामले में भी चीन और भारत नंबर एक और दो पर आते हैं। दुनिया भर में कोविड के बाद तेजी से बढ़ी मांग ने आपूर्ति का संकट खड़ा कर दिया है।
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