बोतलबंद पानी से कम कच्चे तेल की कीमत, क्या भारत में लोगों को मिलेगी राहत

बिजनेस
ललित राय
Updated Apr 21, 2020 | 08:46 IST

crude oil price in international market: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन लोगों के जेहन में सवाल है क्या इसका फायदा भारत में दिखाई देगा।

बोतलबंद पानी से कम कच्चे तेल की कीमत, क्या भारत में लोगों को मिलेगी राहत
कच्चे तेल की कीमतों में कमी 
मुख्य बातें
  • कोरोना वायरस की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की मांग में कमी
  • अमेरिका में तेल स्टोर करने की जगह नहीं, मई महीने के लिए सौदा का आज आखिरी दिन
  • भारत में उपभोक्ताओं को फायदा मिलेगा या नहीं यह बड़ा सवाल

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जब भी कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आती है तो एक सवाल भारत में बार बार पूछा जाता है कि क्या यहां पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आएगी। लोग कहते हैं कि जब कीमतों में इतने बड़े पैमाने पर गिरावट होती है तो भारत में एक साथ बड़ी कटौती क्यों नहीं की जाती है। दरअसल इस सवाल का जवाब इतना आसान नहीं है। यहां पर हम बताएंगे कि आखिर कच्चे तेल की कीमतों में इतनी कमी क्यों हुई और भारत पर इसका क्या असर होगा। खासतौर से क्या इसकी वजह से उपभोक्ताओं को किसी तरह की राहत मिलेगी। 

अमेरिका में कच्चा तेल रखने की जगह नहीं
कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर में कच्चे तेल की कीमत में कमी आई है। अमेरिका के पास कच्चे तेल को स्टोर करने की जितनी क्षमता है उसका उपयोग हो चुका है, उसके पास तेल रखने की जगह नहीं है। मई महीने की डिलीवरी के लिए आज सौदे का आखिरी दिन है। अब तेल निर्माता कंपनियों के पास तेल रखने की जगह नहीं है तो वो अब सस्ते दाम पर तेल बेचने की पेशकश कर रही हैं ताकि स्टॉक को हटाया जा सके।

मई महीने के कंपनियों की तरफ से अतिरिक्त पेशकश
बताया जा रहा है कि कंपनियों की तरफ से 3.70 डॉलर प्रति बैरल अतिरिक्त राशि देने की बात कर रहे हैं सामान्य तौर पर जब इस तरह की पेशकश की जाती है तो यह कहा जाता है कि कच्चे तेल की कीमत शून्य डॉलर या बैरल से नीचे चली गई है। यहां यह जानना जरूरी है कि यह पेशकश मई महीने के लिए है। दरअसल हर आगे आने वाले महीने के लिए सौदा एक महीने पहले ही कर लिया जाता है। 

भारत में तेल कीमतों के निर्धारित करने की गणित
इस साल की शुरुआत में कच्चे तेल की कीमत 67 डॉलर प्रति बैरल थी और भारत में जब कोरोना का केस सामने आया तो यह कीमत 38 डॉलर प्रति बैरल हो गई। अगर इसे भारतीय रुपयों में देखें तो भारत को जनवरी में कच्चे तेल के लिए करीब 30 रुपए प्रति लीटर अदा करना होता था और मार्च में यह हर करीब 11 रुपए प्रति लीटर हुई।

अब अगर बात पूरी कीमत की करें तो अप्रैल के महीने में पेट्रोल की बेस प्राइस ही करीब 27 रुपए रखी गई उसके बाद 22 रुपए की एक्साइज ड्यूटी लगाई गई। फिर 3 रुपए 55 पैसे का डीलर कमीशन और 14 रुपये 79 पैसे का वैट लगा और इस तरह कीमत 69,28 रुपए हो गई। इसका अर्थ यह है कि भारत में तेल की बेस प्राइस और एक्साइज ड्यूटी के साथ साथ वैट की कीमत इतनी ज्यादा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में अगर कीमतों में कमी आए तो भी कोई खास फर्क नहीं आएगा।

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