Cryptocurrency News: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) किसी पोंजी स्कीम (Ponzi scheme) से भी बदतर हो सकती है। क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना शायद भारत के लिए उचित विकल्प हो सकता है।
टी रबी शंकर ने भारतीय बैंक संघ (IBA) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि, 'क्रिप्टोकरेंसी एक मुद्रा, संपत्ति या कमोडिटी के रूप में परिभाषा के लिए उत्तरदायी नहीं हैं, इसका कोई आंतरिक मूल्य नहीं है, वे पोंजी योजनाओं के समान हैं यह इससे भी बदतर हो सकते हैं।
क्या है पोंजी स्कीम?
पोंजी योजना धोखाधड़ी का एक रूप है जो निवेशकों को आकर्षित करती है और नए निवेशकों के धन के साथ पुराने निवेशकों को लाभ का भुगतान करती है। इसकी बहुत कम या कोई वैध कमाई नहीं है। उन्होंने कहा कि, 'हमने देखा है कि क्रिप्टो-टेक्नोलॉजी सरकारी नियंत्रण से बचने के लिए एक फिलॉसोफी पर आधारित है। क्रिप्टोकरेंसी को विशेष रूप से विनियमित वित्तीय प्रणाली को बायपास करने के लिए विकसित किया गया है। यह कारण सावधानी बरतने के लिए पर्याप्त है।'
लॉन्च होगा डिजिटल रुपया
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से दूर रखने के पुख्ता कारण हैं। वे वित्तीय अखंडता, विशेष रूप से केवाईसी और AML/CFT नियमों को कमजोर करते हैं। क्रिप्टोकरेंसी मुद्रा प्रणाली, मौद्रिक प्राधिकरण, बैंकिंग प्रणाली को बर्बाद कर सकती है। मालूम हो कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने अपने बजट 2022-23 (Budget 2022) भाषण में घोषणा की थी कि केंद्रीय बैंक ने डिजिटल रुपये (Digital rupee) लॉन्च करेगा। डिजिटल रुपया बिल्कुल फिजिकल रुपये की तरह ही होगा।
ये है डिजिटल रुपये और प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी में फर्क
इससे पहले केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर ने कहा थी कि, 'जैसे आप रुपये को अपने पर्स या जेब में रख सकते हैं, वैसे ही डिजिटल रुपया आपके सेल फोन में रखा जा सकता है।' डिजिटल रुपये और प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के बीच में फर्क यह है कि डिजिटल रुपया आरबीआई द्वारा जारी किया जाएगा।
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