नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने मंगलवार को फ्यूचर ग्रुप (Future Group) को झटका देते हुए अमेजन (Amazon) के साथ अपने विवाद में सिंगापुर ट्रिब्यूनल की कार्यवाही को रोकने की उसकी याचिका खारिज कर दी है। फ्यूचर ग्रुप ने 5 जनवरी से विवाद में अंतिम सुनवाई शुरू करने की ट्रिब्यूनल की योजना के मद्देनजर जल्द सुनवाई की मांग की थी, जो अब शेड्यूल के अनुसार जारी रहेगी क्योंकि हाई कोर्ट को फॉरेन ट्रिब्यूनल की कार्यवाही में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला।
दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति अमित बंसल ने मंगलवार को कहा कि फाइलिंग को बिना किसी और जानकारी के खारिज कर दिया गया।
हालांकि उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने पहले माना था कि अमेजन फ्यूचर कूपन के नियंत्रण में था, फ्यूचर ग्रुप ने बताया था कि सीसीआई ने 2019 में निवेश करने के लिए अमेजन को दी गई अपनी मंजूरी को पहले ही रद्द कर दिया था। एंटी-ट्रस्ट रेगुलेटर ने अमेजन पर तथ्यों को छिपाने और रेगुलेटरी मंजूरी पाने के लिए झूठी सूचना देने के लिए 202 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
फ्यूचर ग्रुप ने ट्रिब्यूनल के सामने पेश होने के लिए और समय मांगा था क्योंकि उसके आधे वकील कोरोना पॉजिटिव थे। उनका दावा था कि उसके पास कोर्ट केस लड़ने के लिए अमेजन की तरह 8,500 करोड़ रुपये का बजट नहीं था। अमेजन ने फ्यूचर ग्रुप के पैसे की कमी के दावों को खारिज कर दिया था और कहा था कि 23 प्रमुख वकील विभिन्न अदालतों में फ्यूचर ग्रुप के लिए पेश हुए थे। अमेजन ने तर्क दिया था कि सौदे की मंजूरी को निलंबित करने के सीसीआई के आदेश से कंपनियों के बीच मध्यस्थता क्लॉज अप्रभावित रहेगा।
जानें पूरा मामला
मालूम हो कि विवाद की शुरुआत 2020 में हुई थी। तब फ्यूचर ग्रुप के रिटेल, होलसेल और लॉजिस्टिक्स कारोबार को रिलायंस रिटेल द्वारा 24,713 करोड़ रुपये में खरीदने के लिए ऐलान किया गया था। जबकि पहले 2019 में अमेजन ने 1500 करोड़ रुपये में फ्यूचर कूपन में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। डील के तहत अमेजन को 3 से 10 साल के भीतर फ्यूचर रिटेल में हिस्सेदारी खरीदने का भी अधिकार मिला था। इसी आधार पर फ्यूचर और रिलायंस की डील पर ऐतराज जताते हुए अमेजन ने सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर में अपील दायर की कि रिलायंस और फ्यूचर रिटेल की डील उसकी और फ्यूचर कूपन के बीच हुई डील के खिलाफ है।
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