Digital Loan Rules: गैरकानूनी डिजिटल लोन को रोकने के लिए एक अलग कानून लाने की सिफारिश

बिजनेस
डिंपल अलावाधी
Updated Nov 19, 2021 | 11:23 IST

Digital Loan Rules: ऐप या डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोन देने वालों पर नकेल कसने की तैयारी हो गई है।

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Illegal Digital Loan को रोकने के लिए अलग कानून की सिफारिश (Pic: iStock) 
मुख्य बातें
  • RBI के एक वर्किंग ग्रुप ने नोडल एजेंसी बनाने की सिफारिश की है।
  • WG के मुताबिक एक ऐसा कानून आना चाहिए जो लोन देने से जुड़ी गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगा सके।
  • 13 जनवरी 2021 को वर्किंग ग्रुप (WG) का गठन किया गया था।

Digital Loan Rules: ऐप या डिजिटल प्लेटफॉर्म (Digital Money lending apps) के जरिए लोन देने वालों पर नकेल कसने की तैयारी हो चुकी है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक वर्किंग ग्रुप ने एक नोडल एजेंसी बनाने की सिफारिश की है। यह ऐप्स की डिजिटल विश्वसनीयता की जांच करेगी। मालूम हो कि केंद्रीय बैंक ने डिजिटल मनी लेंडिंग ऐप को लेकर पहले भी ग्राहकों को सावधान रहने को कहा था। इस तरह की ऐप्स पहले ग्राहकों को आसान शर्तों पर लोन दे देती हैं और फिर उसके बाद बकाए की वसूली के लिए जोर-जबरदस्ती करती हैं। ऐसे में अब डिजिटल ऐप और अन्य लेंडिंग प्लेटफॉर्म द्वारी की जा रही मनमानी और फर्जीवाड़े की बढ़ती शिकायतों के बाद केंद्रीय बैंक ने इन पर लगाम लेने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

एक अलग कानून लाने की सिफारिश
वर्किंग ग्रुप ने एक सेल्फ-रेगुलेटरी संगठन (Self-Regulatory Organisation, SRO) भी बनाने की सिफारिश की है। इसके अलावा एक ऐसा कानून लाने को कहा गया है जिससे लोन देने से जुड़ी गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके। आरबीआई ने एक विज्ञप्ति में कहा कि, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप के जरिए देश में चल रहे लोन के कारोबार से ग्राहकों की सुरक्षा प्रभावित हो रही है। 

दरअसल 13 जनवरी 2021 को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप के माध्यम से ऋण देने सहित डिजिटल लोन पर एक वर्किंग ग्रुप (WG) का गठन किया गया था। इस वर्किंग ग्रुप ने ग्राहकों की सुरक्षा और डिजिटल लेंडिंग इको सिस्टम को सुरक्षित बनाने और इनोवेशन को बढ़ावा देने के हिसाब से एक रिपोर्ट तैयार की है।

ये हैं अन्य सिफारिशें-
आरबीआई वर्किं ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया कि डिजिटल लोन लेने वालों के बैंक खातों में सीधे तौर पर छूट दी जानी चाहिए। सिर्फ डिजिटल ऋणदाताओं के बैंक खातों के माध्यम से ही ऋणों का वितरण किया जाना चाहिए। वर्किंग ग्रुप ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि, सत्यापन योग्य ऑडिट ट्रेल्स के साथ उधारकर्ताओं की पूर्व और स्पष्ट सहमति के साथ डेटा संग्रह होना चाहिए। सभी डेटा भारत में स्थित सर्वरों में संग्रहित किया जाना चाहिए। जरूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल लोन में उपयोग की जाने वाली एल्गोरिथम सुविधाओं का डॉक्यूमेंटेशन किया जाना चाहिए। इसपर भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि डब्ल्यूजी द्वारा की गई सिफारिशों और सुझावों पर फैसला लेने से पहले टिप्पणियों की जांच की जाएगी।

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