Edible oil oilseed price today, 29 July 2020: घरेलू मांग बढ़ने और मंडी में किसानों द्वारा कम कीमत पर अपनी फसल नहीं बेचने के कारण स्थानीय तेल तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों में सुधार देखने को मिला। लोगों में स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण सरसों तेल की मांग बढ़ी हैं। वहीं छोटे रेस्त्राओं और कारोबारी प्रतिष्ठानों में आयातित सस्ते तेलों की मांग बढ़ी है। बाजार सूत्रों का कहना है कि विदेशों से पाम तेल और सोयाबीन के बढ़ते आयात से घरेलू उत्पादक किसान और उद्योग दबाव में हैं। देश में मूंगफली, सूरजमुखी और सोयाबीन का लाखों टन का स्टॉक पड़ा है जो सस्ते आयात और मंडियों में भाव कम होने की वजह से खपाया नहीं जा सका है। वायदा कारोबार में सोयाबीन के अक्टूबर कॉन्ट्रैक्ट का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से लगभग सात प्रतिशत नीचे है जिससे सोयाबीन और सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट का रुख है।
बाजार सूत्रों के अनुसार, सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसियेसन (सोपा) के चेयरमैन देविश जैन ने सोयाबीन तेल उद्योग की मौजूदा समस्या के बारे में वाणिज्य एव उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र भेजा है। सोयोबीन की आगामी बंपर फसल को देखते हुये सोपा ने सोयामील के निर्यात पर पांच प्रतिशत निर्यात सब्सिडी तुरंत बहाल करने और खाद्य तेलों के आयात को प्रतिबंधित करने का आग्रह किया है। सोपा ने विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के पोर्टल पर इस साल अप्रैल से मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट फ्राम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) दावों के आनलाइन पंजीकरण को बंद कर दिये जाने पर भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि सब्सिडी के निलंबन से भारत से सोयामील के भविष्य में होने वाले निर्यात पर असर पड़ सकता है।
सोपा ने घरेलू तेल उत्पादकों के हित में विदेशों से सस्ते आयात को भी प्रतिबंधित करने का आग्रह किया है। संगठन ने कहा है कि इस जुलाई में सोयाबीन तेल का अयात अब तक के सर्वोच्च स्तर पांच लाख टन तक पहुंच गया है। संगठन ने घरेलू उत्पादन बढ़ाने और आयातित तेल की मात्रा कम करने के लिये इससे संबंधित पूरी नीति में रद्दोबदल करने पर जोर दिया है।
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