नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच लॉकडाउन का दौर जारी है और इस बीच अर्थव्यवस्था में खासी मंदी भी देखने को मिल रही है। ऐसे समय में लोग बचत करने की ज्यादा ज्यादा कोशिश कर रहे हैं और अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखना चाहते हैं। घर में रहने के दौरान कई लोगों के मन में निवेश से जुड़ी बातें भी चल रही हैं और कन्फ्यूजन पैदा हो सकता है कि कहां पर निवेश किया जाए।
एफडी, बॉन्ड, गोल्ड और इक्विटी लोगों के निवेश के अहम विकल्प रहे हैं। इस बीच इनके बीच भी लोगों में भ्रम पैदा हो सकता है कि कहां अपना पैसा लगाया जाए। आइए एक बार मौजूदा दौर में इन चारों विकल्पों में निवेश पर एक नजर डालते हैं।
सावधि जमा/ फिक्सड डिपॉजिट (एफडी): आरबीआई की ओर से दर में कटौती किए जाने के बाद कई बड़े बैंकों की 5 साल की एफडी पर औसतन 6 फीसदी सालाना ब्याज मिल रहा है। यानी मौजूदा दर पर आपके पैसे डबल होने में 12 साल लगेंगे। फिर भी सेफ रिटर्न चाहने वालों के लिए यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है। अन्य जगहों पर ज्यादा पैसे मिल सकते हैं लेकिन वहां पर सुरक्षा को लेकर चिंता खड़ी हो सकती है।
गौरतलब है कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक ने गुरुवार को कहा है कि उसने सावधि जमा खातों (एफडी) में 600 करोड़ के आंकड़े को पार कर लिया है क्योंकि अन्य परिसंपत्तियों में अस्थिरता के कारण लॉकडाउन अवधि के दौरान इसमें वृद्धि देखी गई है।
गोल्ड: मंदी के समय में सोने को निवेश का विश्वसनीय साथी माना जाता रहा है। अगर इस साल की बात करें तो गोल्ड पर अब तक 15 फीसदी तक रिटर्न आ चुका है। मंदी का माहौल इतना जल्दी खत्म होने वाला नहीं है और अर्थव्यवस्था पर दबाव भी बना रहेगा। ऐसे सोने में निवेश कमाई की चमक को बढ़ा सकता है। बीते 10 साल में सोने का रिटर्न पॉजिटिव ही रहा है और मंदी के दौर में इसमें निवेश और भी ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।
बॉन्ड: मौजूदा समय में सरकारी बांड और टैक्स फ्री बांड चर्चा में रहे हैं। इनमें फायदा छोटा है और मेच्योरिटी पीरियड लंबा है। लेकिन यह जोखिम न चाहने वाले लोगों के लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। इन पर स्थिर लेकिन सुरक्षित रिटर्न भी मिल जाता है।
इक्विटी: अगर आप लंबे समय के लिए निवेश के बारे में योजना बना रहे हैं और थोड़ा रिस्क लेने की गुंजाइश है तो यह विकल्प आपके लिए हो सकता है। बड़ी कंपनियां बेस मजबूत होने की वजह से वह दबाव को मैनेज कर सकती हैं इसलिए लॉर्जकैप शेयरों में पैसा लगाना चाहिए, यहां नुकसान भी कम होता है।
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