विदेश में रणनीतिक क्षेत्रों में तय सीमा से ज्यादा निवेश कर सकेंगी भारतीय कंपनियां: वित्त मंत्रालय

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भाषा
Updated Aug 24, 2022 | 13:58 IST

देश से बाहर प्रत्यक्ष निवेश (Overseas Direct Investment) नियम और नियमन 2022 पर व्याख्यात्मक नोट में वित्त मंत्रालय ने बड़ी घोषणा की।

Finance Ministry rule for Indian Companies investment in Strategic Areas Abroad
देश से बाहर रणनीतिक क्षेत्रों में ज्यादा निवेश कर सकेंगी कंपनियां  |  तस्वीर साभार: BCCL

नई दिल्ली। सरकार ने कहा कि भारतीय कंपनियां जरूरी मंजूरी हासिल कर ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधनों जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में निर्धारित सीमा से अधिक विदेशों में निवेश कर सकती हैं। विदेशों में प्रत्यक्ष निवेश (ओवरसीज डायरेक्ट इनवेस्टमेंट) नियम और नियमन 2022 पर व्याख्यात्मक नोट में वित्त मंत्रालय ने कहा कि गैर-वित्तीय क्षेत्र इकाई स्वत: मंजूर मार्ग से (बैंक और बीमा को छोड़कर) वित्तीय सेवा गतिविधियों में शामिल विदेशी इकाई में प्रत्यक्ष निवेश कर सकती हैं।

पहले ये था नियम
पूर्व की व्यवस्था में गैर-वित्तीय क्षेत्र में काम करने वाली भारतीय इकाई को वित्तीय सेवा गतिविधियों में शामिल विदेशी कंपनी में निवेश की अनुमति नहीं थी। इसमें कहा गया है, 'बीमा क्षेत्र में काम नहीं करने वाली भारतीय इकाई उस साधारण और स्वास्थ्य बीमा में विदेशी इकाइयों में निवेश कर सकती हैं, जहां इस प्रकार का कारोबार ऐसी भारतीय इकाई के विदेशों में की जाने वाली मुख्य गतिविधि का समर्थन कर रहा हो।'

सरकार के पास ये अधिकार
सरकार ने राजपत्र में प्रकाशित दो अधिसूचनाएं जारी कीं। इसमें भारतीय इकाइयों के विदेशों में निवेश और पोर्टफोलियो निवेश को लेकर सीमाएं निर्धारित की गयी हैं। पूर्व के नियमन में भारतीय इकाइयों में विदेशों में पोर्टफोलियो निवेश को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। इसके अलावा नियंत्रण, विनिवेश, अनुषंगी की अनुषंगी और वित्तीय सेवा गतिविधियों समेत अन्य चीजों को भी परिभाषित किया गया है। वित्त मंत्रालय ने नोट में कहा है कि नई व्यवस्था में रणनीतिक क्षेत्र की नई अवधारणा पेश की गयी है। इसमें सरकार के पास विदेशों में तय सीमा से अधिक निवेश की अनुमति देने का अधिकार होगा।

इसमें कहा गया है, 'रणनीतिक क्षेत्र में ऊर्जा, प्राकृतिक संसाधन और ऐसे क्षेत्र शामिल होंगे जिसके बारे में निर्णय सरकार उभरते कारोबारी जरूरतों के आधार पर समय-समय पर करेगी।' नये नियम में प्रस्ताव किया गया है कि मंजूरी मार्ग वाली चीजों को अब स्वत: मार्ग के तहत अनुमति होगी। पूर्व व्यवस्था में किसी भारतीय इकाई को अनुषंगी की अनुषंगी को या उसकी ओर से कॉरपोरेट गारंटी जारी करने के लिए रिजर्व बैंक की मंजूरी की आवश्यकता होती है। लेकिन अब नई व्यवस्था में यह स्वत: मंजूर मार्ग के अंतर्गत आ गया है।

नोट के अनुसार, नई व्यवस्था में विदेशी इकाई की शेयर पूंजी के अधिग्रहण को स्वत: मार्ग के अंतर्गत अस्थायी स्थगित भुगतान के आधार पर मंजूरी दी गयी है। पहले इसकी अनुमति मंजूरी मार्ग के तहत थी। इसमें कहा गया है कि भारतीय इकाई अगर भारत में वित्तीय सेवा गतिविधियों में शामिल नहीं है, वह अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में उस विदेशी इकाई में प्रत्यक्ष निवेश कर सकती है, जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से वित्तीय सेवा गतिविधियों (बैंक या बीमा को छोड़कर) में शामिल है।

अनुपालन आवश्यकताओं को पूरा करने में होगी आसानी 
इसके साथ अनुपालन बोझ के मामले में नई व्यवस्था में विदेशी निवेश-संबंधित विभिन्न रिटर्न/दस्तावेजों को दाखिल करने के लिये विलंब शुल्क जमा करने की सुविधा दी गयी है। मंत्रालय ने कहा कि इससे अनुपालन आवश्यकताओं को पूरा करने में काफी आसानी होगी। इसमें कहा गया है कि अनुषंगी की अनुषंगी कंपनियों की स्थापना या समापन या विदेशी इकाई के शेयरधारिता प्रतिरूप में बदलाव के लिए अलग रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को अब समाप्त कर दिया गया है।

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