नई दिल्ली: बजट 2021-22 की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनकी टीम आधुनिक भारत के सबसे चुनौतीपूर्ण बजट को पेश करने के लिए तैयार है। कोविड-19 की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था कोमा में चली गई है। ऐसे समय बजट तैयार करना काफी मुश्किल हो सकता है। लेकिन एक बात निश्चित है, यह एक ऐसा बजट होगा जैसा पहले कभी नहीं देखा गया होगा। 'ऐसा पहले कभी नहीं' बजट का पहला संकेत पहले से ही मिल रहा है। यह बजट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वैक्सीन प्रदान करेगा। यह एक ऐसा बजट होगा जो सदियों पुरानी परंपराओं और रीति-रिवाजों से विराम लेगा देगा। साथ ही इस बार बजट दस्तावेज नहीं छापे जा रहे हैं। सभी संसद सदस्यों को बजट के दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी दी जाएगी।
26 नवंबर, 1947 के बाद पहली बार बजट प्रतियां नहीं छापी जाएंगी। नॉर्थ ब्लॉक में बजट दस्तावेजों के मुद्रण के लिए एक समर्पित प्रेस के साथ एक बोर्डिंग और लॉजिंग क्षेत्र के साथ-साथ 100 से अधिक बजट अधिकारी हैं जो बजट दस्तावेजों को सील करने और वितरित करने तक प्रेस में रखे जाते हैं। लेकिन कोरोना महामारी की वजह से सरकार ने इस रिवाज को विराम देने का फैसला किया है। संसद के सभी 750 सदस्यों को बजट की सॉफ्ट कॉपी और आर्थिक सर्वे मिलेगा। यह फैसला कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को लेकर लिया गया।
इतना ही नहीं, पारंपरिक हलवा सेरमनी जो बजट की आधिकारिक छपाई के बाद मनाई जाती है। लगता है इस बार यह सेरेमनी नहीं होगी। सेरेमनी का आयोजन संसद में बजट पेश किए जाने से एक पखवाड़ा पहले नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में होता है।
2020-21 कई मायनों में एक ब्रेकआउट वर्ष रहा है। कोविड-19 ने काफी कुछ बदल दिया। संसद भी पेपरलेस हो गया। संसद कई वर्षों से अपने रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि महामारी ने यह कर दिया।
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