नई दिल्ली। इस साल जुलाई में सरकार ने स्पष्ट किया था कि ताजा दूध और Pasteurised दूध को वस्तु एवं सेवा कर (GST) से पूरी तरह छूट है। हालांकि, पहले से पैक और लेबल के रूप में बेचे जाने वाले दही, लस्सी और पनीर पर 5 फीसदी का मामूली जीएसटी लागू होता है। लेकिन फ्लेवर्ड मिल्क (Flavoured Milk) का क्या? क्या यह सिर्फ दूध है या बेवरेज है? अगर इसे पहले से पैक करके बेचा जाता है, तो क्या इस पर भी 5 फीसदी जीएसटी लगेगा?
एडवांस रूलिंग के एक अपीलीय प्राधिकरण (AAAR) ने कहा है कि फ्लेवर्ड मिल्क दूध नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा बेवरेज है जिसमें दूध एक सामग्री के रूप में होता है।
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तो कितना लगेगा फ्लेवर्ड मिल्क पर जीएसटी? (Tax on Flavoured Milk)
आइसक्रीम निर्माता वाडीलाल (Vadilal) ने इस मामले पर स्पष्टता के लिए शीर्ष अपीलीय प्राधिकरण से संपर्क किया था। प्राधिकरण ने कहा कि फ्लेवर्ड दूध पर 12 फीसदी की जीएसटी दर लगती है, जो पहले से पैक किए गए दूध पर लगने वाले जीएसटी से ज्यादा है।
वाडीलाल ने एएएआर का दरवाजा तब खटखटाया जब एक अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (AAR) ने कहा था कि फ्लेवर्ड दूध पर जीएसटी लागू होना चाहिए। फ्लेवर्ड मिल्क मूल रूप से 'दूध वाला बेवरेज' है और इस पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा, जैसा कि गुजरात अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग ने अप्रैल 2021 में एक फैसले में कहा था। गुजरात एएएआर ने वर्गीकरण पर एएआर के फैसले की पुष्टि की और कहा कि फ्लेवर वाला दूध, दूध नहीं बल्कि दूध वाला बेवरेज है। फैसला सुनाया गया कि यह दूध की नेचुरल रूप नहीं है।
भारत में केपीएमजी में अप्रत्यक्ष टैक्स पार्टनर हरप्रीत सिंह ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि जीएसटी के तहत उत्पादों के वर्गीकरण के लिए कॉमन कार्लेंस, अंतिम उपयोग, तकनीकी विशिष्टताओं, उत्पादों के घटकों आदि जैसे पहलुओं को देखने की आवश्यकता है। इस मामले में, अधिकारियों ने उत्पाद की सामग्री को प्राथमिकता दी है।
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