Nirmala Sitharaman Press Conference: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) आज राष्ट्रीय राजधानी में एंट्रिक्स देवास मुद्दे (Antrix Devas issue) को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी मौजूद थे।
वित्त मंत्री ने बताया कि, 'एंट्रिक्स देवास मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने NCLT और NCLAT के आदेश को बरकरार रखा है।' उन्होंने कहा कि, 'मैं एंट्रिक्स-देवास मुद्दे पर सभी का ध्यान आकर्षित करना चाहती हूं।'
यूपीए सरकार पर साधा निशाना
सीतारमण का कहना है कि देवास मल्टीमीडिया के परिसमापन को बरकरार रखने वाला शीर्ष अदालत का आदेश एक व्यापक आदेश है। उन्होंने एंट्रिक्स देवास मामले में यूपीए सरकार पर निशाना साधा। एंट्रिक्स और देवास के बीच 2005 के सौदे पर उन्होंने कहा कि, 'यह भारत के लोगों के साथ धोखाधड़ी थी, देश के खिलाफ धोखाधड़ी थी।'
राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ किया गया था सौदा
FM ने कहा, '2005 में जब डील हुई थी, वह अपने आप में बहुत विवादास्पद थी।' उन्होंने आरोप लगाया कि सौदा और सुप्रीम कोर्ट का हालिया आदेश दोनों दर्शाते हैं कि कैसे यूपीए सरकार गलत प्रथाओं में शामिल थी। उन्होंने कहा कि यह सौदा राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ किया गया था।
यह सौदा साल 2005 में यूपीए सरकार के दौरान हुआ। आदेश को रद्द करने में उन्हें 6 साल लग गए। यहां तक कि जब उन्होंने (यूपीए सरकार) सौदा रद्द कर दिया, तब भी यह दिखाई दे रहा था कि समझौता पूरी तरह से गलत था और राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ था। यह देश के खिलाफ एक धोखाधड़ी थी।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 जनवरी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) और नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के आदेशों के खिलाफ देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड और देवास कर्मचारी मॉरीशस प्राइवेट लिमिटेड की अपील खारिज कर दी। जनवरी 2021 में एनसीएलटी की एक बेंच ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स कॉर्प लिमिटेड द्वारा एक याचिका दायर की थी, जिसमें ट्रिब्यूनल से धोखाधड़ी के लिए देवास मल्टीमीडिया को बंद करने की अनुमति देने का आग्रह किया गया था। इसके बाद एनसीएलएटी ने भी एनसीएलटी के आदेश को बरकरार रखा।
क्या है एंट्रिक्स देवास डील?
देवास मल्टीमीडिया और एंट्रिक्स कॉरपोरेशन के बीच साल 2005 में सैटेलाइट सेवा से जुड़ा एक सौदा हुआ था। बाद में खुलासा हुआ कि इस डील के तहत सैटेलाइट का इस्तेमाल मोबाइल से बातचीत के लिए होना था, लेकिन इससे पहले सरकार की अनुमति नहीं ली गई थी। देवास मल्टीमीडिया उस वक्त एक स्टार्टअप था तो 2004 में ही बना था। इसे इसरो के ही पूर्व साइंटिफिक सेक्रेटरी एमडी चंद्रशेखर ने बनाया था। इसे 2011 में फर्जीवाड़े के आरोपों को चलते रद्द कर दिया गया।
Times Now Navbharat पर पढ़ें Business News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।