Inflation and Elon Musk: दुनिया के सबसे रईस शख्स एलन मस्क ने महंगाई को लेकर बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि हमें लगता है कि दुनिया ने महंगाई के उच्चतम स्तर को छू लिया है। और अब तेजी से महंगाई घटेगी। एलन मस्क के अलावा एफएओ फूड प्राइस इंडेक्स भी खाद्य महंगाई में गिरावट का संकेत दे रहा है। साफ है कि महंगाई में आने वाले समय में कमी के संकेत है। अगर ऐसा होता है तो अमेरिका, यूरोप और एशियाई देश, भारत के लिए यह अच्छा संकेत हैं। क्योंकि इस समय महंगाई ने पूरी दुनिया को जकड़ लिया है और ग्लोबल मंदी की आशंका जताई जा रही है।
क्या कहता है FAO फूड प्राइस इंडेक्स
संयुक्त राष्ट्र संघ के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन के फूड प्राइस इंडेक्स के अनुसार, खाद्य महंगाई में अक्टूबर 2008 के बाद जुलाई 2022 में सबसे बड़ी गिरावट है। जुलाई में औसत इंडेक्स 140.9 रहा है। जो कि जून से 8.6 फीसदी कम है। FAO के अनुसार जुलाई में किसी महीने में 2008 के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट है। इसकी एक बड़ी वजह खाने के तेल, चीनी, डेयरी और मांस आदि की कीमतें गिरी हैं। इसी तरह FAO खाद्यान्न प्राइस इंडेक्स में भी 19.1 प्वाइंट में कमी आई है।
दुनिया क्यों कर रही महंगाई का सामना
दुनिया में इस समय रिकॉर्ड महंगाई का सामान कर रही है। उसकी एक बड़ी वजह मौसम, महामारी, रूस-यूक्रेन युद्द और कोविड की वजह से सप्लाई चेन में आई गिरावट ने पिछले 2 साल से दुनिया का समीकरण बिगाड़ दिया है। इसकी वजह से सबसे ज्यादा असर कच्चे तेल के कारोबार पर हुआ है। जिसने दुनिया के कई देशों में महंगाई का रिकॉर्ड बना दिया है। अमेरिका 41 साल की सबसे ज्यादा महंगाई का सामना कर रहा है। इसी तरह यूनाइटेड किंगडम भी 40 साल की सबसे ज्यादा की महंगाई का सामना कर रहा है। वहीं एशिया में श्रीलंका, पाकिस्तान, बंग्लादेश जैसे देश बुरी आर्थिक संकट में घिर गए हैं।
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काला सागर से खुला रास्ता, नई उम्मीद
फरवरी में रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध के बाद सबसे बड़ी पहल, काला सागर के रास्ते यूक्रेन का निर्यात शुरू होना है। यह कितनी बड़ी पहल है इसे इसी से समझा जा सकता है कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने इस पहल का स्वागत किया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित इस अति महत्वपूर्ण समझौते के तहत यूक्रेन के बन्दरगाह ओडेसा से अनाज की खेप काला सागर होते हुए निकली है। अनाज निर्यात समझौते पर यूक्रेन, रूस और तुर्की ने बीते 22 जुलाई को हस्ताक्षर किए थे। अगर यह रास्ता युद्ध पूर्व स्थिति में पहुंचता है तो न केवल कीमतों में कमी आएगी, बल्कि वस्तुओं की आपूर्ति भी जल्दी होगी।
भारत में महंगाई ने बिगाड़ा आरबीआई का अनुमान
भारत में भी महंगाई ने खेल बिगाड़ दिया है। पिछले 3 महीने से रिटेल महंगाई दर 7 फीसदी से ऊपर बनी हुई है। जो कि आरबीआई के सामान्य स्तर 6 फीसदी से ज्यादा है। जुलाई में रिटेल महंगाई दर 7.01 फीसदी थी। इसी का असर है कि आरबीआई लगातार रेपो रेट में बढ़ोतरी कर रहा है। वह पिछले तीन बार में 1.40 फीसदी रेपो रेट बढ़ा चुका है। महंगाई का ही असर है कि पेट्रोल-डीजल, खाने के तेल से लेकर दूसरी जरूरी वस्तुएं की कीमतें चिंता का विषय बनी हुई हैं।
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