नई दिल्ली। देश में पेट्रोल और डीजल की खपत कोरोना वायरस महामारी के पहले के स्तर पर पहुंच गई। इससे मार्च में देश की ईंधन मांग 4.2 फीसदी बढ़कर तीन साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई है। देश के तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण सेल की ओर से आंकड़े जारी किए गए। आंकड़ों के अनुसार मार्च 2022 में पेट्रोलियम उत्पादों की कुल खपत 1.94 करोड़ टन (19.41 मिलियन टन) रही। यह मार्च 2019 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है।
ये रहा वृद्धि का कारण
पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम नियोजन एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ की तरफ से सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2022 में पेट्रोलियम उत्पादों की कुल खपत 1.94 करोड़ टन रही। यूबीएस के विश्लेषक Giovanni Staunovo ने कहा कि, 'मार्च में तेल की मांग को जमाखोरी की वजह से जोरदार समर्थन मिला। अनुमान लगाया जा रहा था कि महीने के अंत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों (Petrol and Diesel Price) में वृद्धि होगी।'
इस महीने के प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च में भारतीय राज्य रिफाइनर की गैस ऑयल और गैसोलीन की बिक्री प्रमुख राज्यों में चुनावों के बाद खुदरा कीमतों में अपेक्षित तेज वृद्धि से पहले डीलरों और उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग के कारण बढ़ी। पेट्रोल की बिक्री एक साल पहले 2.91 मिलियन टन से 6.2 फीसदी अधिक थी, जो 1998 के आंकड़ों के अनुसार अब तक का सबसे अधिक स्तर है।
रूस से खरीदा गया क्रॉड ऑयल
तेल आयात की बढ़ती लागत को कम करने के लिए, भारत ने रूसी तेल की ओर रुख किया है जो 'राष्ट्रीय हितों' का हवाला देते हुए भारी छूट पर उपलब्ध हैं। पिछले सप्ताह तक रॉयटर्स की गणना के अनुसार, भारतीय रिफाइनर ने मई लोडिंग के लिए कम से कम 16 मिलियन बैरल सस्ता रूसी तेल खरीदा है, जो पूरे 2021 के लिए खरीद के समान है।
OANDA के मुख्य बाजार विश्लेषक जेफरी हैली ने कहा कि, 'रूसी तेल के आयात ने भारत की अर्थव्यवस्था को पटरी पर रखा है, जो अपनी महामारी की मंदी से उभर रहा है।' भारत को भी राजनीतिक रूप से सावधानी से चलने की जरूरत है।
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