भारत की अर्थव्यवस्था की पहली तिमाही में रिकॉर्ड गिरावट का सामना करना पड़ा। सोमवार (31 अगस्त) को डेटा जारी किए जाने की उम्मीद है, क्योंकि कोविड 19 की वजह से लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से उपभोक्ता मांग और निवेश घट रही है। रॉयटर्स के एक सर्वे में अर्थशास्त्रियों ने भविष्यवाणी की कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) जून तिमाही में 18.3% की गिरावट हो, जो पिछली तिमाही में 3.1% वृद्धि की तुलना में कम से कम आठ वर्षों में सबसे खराब प्रदर्शन है। वही अर्थशास्त्री सितंबर और दिसंबर तिमाही में क्रमशः 8.1% और 1.0% के संकुचन की भविष्यवाणी करते हैं, जो इस वर्ष आर्थिक सुधार के सभी उम्मीदों पर पानी फेरता है।
भारत में कोरोनो वायरस के साढ़े तीन मिलियन से अधिक मामले हो गए हैं। भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरा देश बन गया है। परिवहन, शैक्षणिक संस्थानों और रेस्तरां पर प्रतिबंध जारी है। और कुछ राज्यों में साप्ताहिक लॉकडाउन है। इसकी वजह से निर्माण, सेवाओं और खुदरा बिक्री में गिरावट आई है, जबकि लाखों श्रमिकों को नौकरियों से निकाल दिया गया है।
घरेलू शेयर बाजारों को इस सप्ताह पहली तिमाही के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) , जुलाई महीने के बुनियादी उद्योगों के उत्पादन और वाहन बिक्री के आंकड़ों से दिशा मिलेगी। इन आंकड़ों से अर्थव्यवस्था की दशा और दिशा का संकेत मिलेगा। इसके अलावा निवेशकों की नजर वैश्विक बाजारों के रुझानों और कोविड-19 संक्रमितों की संख्या और टीके के विकास से संबंधित खबरों पर भी होगी।
रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के उपाध्यक्ष (शोध) अजीत मिश्रा ने कहा कि इस सप्ताह प्रतिभागियों की नजर वाहनों की बिक्री और जीडीपी के आंकड़ों पर होगी। इसके जरिये उन्हें यह पता चलेगा कि अर्थव्यवस्था कैसे आगे बढ़ रही है। इसके अलावा मानसून की प्रगति और कोविड-19 से जुड़े मामलों पर भी उनका ध्यान होगा।
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