GDP Data released : कोरोना वायरस संकट के बीच देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में 23.9% की भारी गिरावट आई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के लिए अपने जीडीपी के आंकड़े सोमवार (31 अगस्त) शाम को जारी कर दिया है। वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी -23.9% (माइनस) की गिरावट हुई है। कोरोना वायरस महामारी और इसके कारण लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण गिरावट हुई है। कृषि को छोड़कर सभी सेक्टर के ग्रोथ माइनस में रहे। भारत ने 1996 में तिमाही डेटा की रिपोर्टिंग शुरू की गई थी। उधर घरेलू शेयर बाजारों को इस सप्ताह पहली तिमाही के जीडीपी जुलाई महीने के बुनियादी उद्योगों के उत्पादन और वाहन बिक्री के आंकड़ों से दिशा मिलेगी। इन आंकड़ों से अर्थव्यवस्था की दशा और दिशा का संकेत मिलता है।
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इससे पूर्व वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 5.2% की वृद्धि हुई थी। सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए 25 मार्च को पूरे देश में ‘लॉकडाउन लगाया था। इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। केंद्र ने 20 अप्रैल से धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियों को मंजूरी देनी शुरू की। ज्यादातर रेटिंग एजेंसियों और एक्सपर्ट्स ने देश के जीडीपी में 2020-21 में गिरावट का अनुमान जताया है। इस बीच, चीन की अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून तिमाही में 3.2% की वृद्धि हुई है जबकि जनवरी-मार्च, 2020 तिमाही में 6.8% की गिरावट आई थी।
इस दौरान कृषि को छोड़कर विनिर्माण, निर्माण और सेवा समेत सभी क्षेत्रों का प्रदर्शन खराब रहा है। सबसे अधिक प्रभाव निर्माण उद्योग पर पड़ा है। जो 50% से भी अधिक गिरा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इससे पूर्व वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 5.2% की वृद्धि हुई थी।
सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिये 25 मार्च से पूरे देश में ‘लॉकडाउन’ (बंद) लगाया था। इसका असर अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों पर पड़ा है। विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में 2020-21 की पहली तिमाही में 39.3% की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में इसमें 3% की वृद्धि हुई थी। हालांकि कृषि क्षेत्र में इस दौरान 3.4% की वृद्धि हुई। एक साल पहले 2019-20 की पहली तिमाही में 3% की वृद्धि हुई थी।
निर्माण क्षेत्र में जीवीए वृद्धि में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 50.3% की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में 5.2% की वृद्धि हुई थी। खनन क्षेत्र उत्पादन में 23.3% की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले 2019-20 इसी तिमाही में 4.7 की वृद्धि हुई थी। बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगी सेवा क्षेत्र में भी 2020-21 की पहली तिमाही में 7% गिरावट आयी जबकि एक साल पहले 2019-20 की इसी तिमाही में 8.8% की वृद्धि हुई थी।
आंकड़े के अनुसार व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से जुड़ी सेवाओं में आलोच्य तिमाही में 47% की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में 3.5% की वृद्धि हुई थी। वित्तीय, रीयल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में 2020-21 की पहली तिमाही में 5.3% की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में 6% की वृद्धि हुई थी। लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में भी आलोच्य तिमाही में 10.3% की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले 2019-20 की इसी तिमाही में इसमें 7.7% की वृद्धि हुई थी।
एनएसओ ने बयान में कहा कि स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी 2020-21 की पहली तिमाही में 26.90 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है है जो 2019-20 की पहली तिमाही में 35.35 लाख करोड़ रुपये था। यानी इसमें 23.9% की गिरावट आयी है जबकि एक साल पहले 2019-20 की पहली तिमाही में इसमें 5.2% की वृद्धि हुई थी।
बयान के अनुसार, कोविड-19 महामारी पर अंकुश लगाने के इरादे से 25 मार्च से लोगों की आवाजाही समेत गैर-जरूरी आर्थिक गतिविधियों पर पाबंदी लगायी गयी। इसमें कहा गया है हालांकि पाबंदी को धीरे-धीरे हटाया गया है, लेकिन उसका असर आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ आंकड़ा संग्रह व्यवस्था पर भी पड़ा। बयान के अनुसार सांविधिक रिटर्न जमा करने की समयसीमा को ज्यादातर नियामकीय संगठनों से आगे बढ़ाया है।
एनएसओ ने कहा कि ऐसे हालात में सामान्य आंकड़ा स्रोत के बजाए जीएसटी जैसे वैकल्पिक आंकड़े, पेशेवर निकायों आदि का उपयोग किया गया। और ये सब स्पष्ट तौर पर सीमित रही हैं। केंद्र ने केंद्र ने 20 अप्रैल से धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियों को मंजूरी देनी शुरू की। ज्यादातर रेटिंग एजेंसियों और विशेषज्ञों ने देश के जीडीपी में 2020-21 में गिरावट का अनुमान जताया है। इस बीच, चीन की अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून तिमाही में 3.2% की वृद्धि हुई है। इससे पहले, जनवरी-मार्च, 2020 तिमाही में 6.8% की गिरावट आयी थी।
पीएम नरेंद्र मोदी ने मई में 266 अरब डॉलर के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की, जिसमें गरीब लोगों को बैंक लोन और मुफ्त खाद्यान्न की गारंटी शामिल है, लेकिन उपभोक्ता डिमांड और विनिर्माण अभी तक ठीक नहीं हो पाए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), जिसने फरवरी के बाद से कुल 115 आधार अंकों की बेंचमार्क रेपो रेट को घटा दिया है, बढ़ती महंगाई के बीच इस महीने की शुरुआत में रेट्स को रोक कर रखा। नीति निर्माताओं ने कहा कि संघीय और राज्य सरकारें खर्च में वृद्धि करने में असमर्थ हैं, जून तिमाही में टैक्स प्राप्तियों में 40% से अधिक की गिरावट आई है।
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