घर खरीदना हर किसी का सपना होता है। इससे न केवल सुरक्षा की भावना मिलती है बल्कि आजादी और गर्व की भावना भी पैदा होती है। आमतौर पर घर खरीदना, किसी भी व्यक्ति के जीवनकाल की सबसे बड़ी खरीददारी होती है और यह अक्सर विस्तृत वित्तीय योजना के बिना नहीं किया जा सकता है। घर खरीदने की दिशा में पहला कदम घर के स्वामित्व की वास्तविक लागत को समझना और उसका मूल्यांकन करना होता है। उम्मीद के विपरीत, बिल्डर या विक्रेता द्वारा बताई गई स्वामित्व की लागत और स्वामित्व की वास्तविक लागत में अंतर होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमेशा ही छिपे हुए शुल्क तथा अतिरिक्त खर्च होते हैं जिनका आपको आखिरकार भुगतान करना पड़ सकता है। यदि आप इनका प्रावधान करने में विफल रहते हैं, तो खरीद के समय वास्तविक लागत बढ़ जाएगी, और इससे आज तक की गई आपकी वित्तीय प्लानिंग गड़बड़ा सकती है।
इससे पहले की आप अपने सपनों का घर खरीदें, यहां पर आपके लिए उन 5 महत्वपूर्ण अतिरिक्त लागतों को बताया गया है जिनकी आपको जानकारी होनी चाहिए ताकि आप अपने फाइनेंस की बेहतर प्लानिंग कर सकें और आखिर क्षणों में अनावश्यक परेशानियों से बच सकें।
स्टाम्प ड्यूटी सरकार द्वारा प्रॉपर्टी से जुड़े लेनदेनों पर अनिवार्य रूप से लगाया टैक्स होता है। इससे सेल्स एग्रीमेंट की ऑथेन्टिसिटी साबित होती है और इसे प्रॉपर्टी की बिक्री और खरीद का सबूत माना जाता है। जिस राज्य में आप घर खरीद रहे हैं, स्टाम्प ड्यूटी चार्ज उस पर निर्भर करते हुए प्रॉपर्टी की वैल्यू के 4% से 7% के बीच में हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आप जिस घर को खरीद रहे हैं उसकी वैल्यू 50 लाख रुपए है; तो आपको स्टाम्प ड्यूटी के रूप में 2-3.5 लाख रुपए अतिरिक्त का भुगतान करना होगा, जो कीमत का ही हिस्सा होगा। ध्यान दें कि स्टाम्प ड्यूटी रेट को राज्य सरकारों द्वारा तय किया जाता है और ये रेट विभिन्न राज्यों में, और राज्य में शहरी और ग्रामीण हिस्सों में अलग-अलग हो सकते हैं। अनेक राज्यों में घर का स्वामित्व रखने वाली महिलाओं और किफायती घर को खरीदने वालों को 1% तक की छूट भी दी जाती है। इसलिए, एक ही राज्य में स्टाम्प ड्यूटी चार्ज के संबंध में काफी अधिक अंतर हो सकता है।
एक अन्य अनिवार्य लागत है जिसे खरीद के समय सरकार द्वारा खरीददार के नाम से प्रॉपर्टी को रजिस्टर करते समय और प्रॉपर्टी के मालिकाना रिकॉर्ड को अपडेट करते समय वसूला जाता है। अधिकांश राज्यों में, रजिस्ट्रेशन लागत घर की लागत का 1% होती है। इसलिए, कोई ऐसा घर जिसकी वैल्यू 50 लाख रुपए है, तो आपको उसके रजिस्ट्रेशन चार्जेस के रूप में 50,000 रुपए देने होंगे। रजिस्ट्रेशन चार्जेस, आपके द्वारा भुगतान की जाने वाली स्टाम्प ड्यूटी के अलावा होते है।
अगर आप कोई निर्माणाधीन प्रॉपर्टी खरीद रहे हो, तो आपको इस पर जीएसटी का भुगतान करना होगा। जीएसटी की गणना, अगर प्रॉपर्टी अफॉर्डेबल हाउसिंग की श्रेणी में आती है, तो घर की वैल्यू के 1% की दर पर की जाती है। अगर ऐसा नहीं है, तो प्रॉपर्टी की वैल्यू के 5% तक जीएसटी चार्ज किया जाता है। अफॉर्डेबल प्रॉपर्टी (किफायती संपत्ति) को एक घर के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसकी प्रॉपर्टी वैल्यू 45 लाख रुपए से कम है और मेट्रो में एरिया 60 वर्ग मीटर से कम और अन्य लोकेशन्स में एरिया 90 वर्ग मीटर से कम होता है। इसलिए, अगर निर्माणाधीन अफॉर्डेबल प्रॉपर्टी की कीमत 40 लाख रुपए है, तो खरीददार को 40,000/- रुपए जीएसटी के तौर पर देने होंगे। अगर वैल्यू 50 लाख रुपए है, जो भुगतान किए जाने वाला जीएसटी 2.5 लाख रुपए होगा। लेकिन, तैयार हो चुकी प्रॉपर्टी (रेडी टू ओन) या पुरानी प्रॉपर्टी के पुनर्विक्रय (रिसेल) पर कोई जीएसटी नहीं देनी पड़ती है।
प्रॉपर्टी मेंटेनेंस चार्जेस से घर की लागत पर काफी अधिक असर पड़ सकता है। बिल्डर इन्हें एक या दो वर्ष पहले ले सकते हैं, और यह राशि, प्रॉपर्टी के साइज और लोकेशन तथा अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स के आधार पर लाखों में हो सकती है। खासतौर पर, मेंटेनेंस चार्जेस में भवन की सुरक्षा, लिफ्ट चार्जेस, प्रॉपर्टी की मेंटेनेंस फीस, और कॉमन वॉटर और इलेक्ट्रिक चार्जेस आदि शामिल हो सकते हैं।
नए मकान खरीदने वाले अनेक खरीददार यह सोचते हैं कि एक बार आप अपने नए घर में आ जाते हैं, तो उन्हें अपने वाहनों के लिए पार्किंग चार्जेस नहीं देने होंगे। यह सच नहीं है। हाउसिंग सोसाइटी या बिल्डर्स तय शुदा पार्किंग जगह के लिए पार्किंग चार्ज लेते हैं। यदि आपके पास एक से अधिक वाहन है, तो आपको अतिरिक्त पार्किंग जगह के लिए अतिरिक्त पैसा देना पड़ सकता है। सोसाइटी पर निर्भर करते हुए, आपसे वन-टाइम या वार्षिक पार्किंग चार्जेस लिए जा सकते हैं जो हजारों और यहां तक की लाखों में हो सकते हैं।
इनके अलावा, पुनर्विक्रय (रिसेल) लेनदेन की स्थिति में, आपको स्थानीय निकाय को ट्रांसफर ऑफ मेमोरेंडम (टीएम) चार्जेस अथवा प्रॉपर्टी के मालिकाना हक को ट्रांसफर करने के लिए एसोसिएशन को ट्रांसफर चार्जेस देने पड़ सकते हैं। बिल्डर द्वारा पसंदीदा लोकेशन चार्जेस (पीएलसी) और कॉम्प्लेक्स के भीतर बेहतर स्थान पर यूनिट के लिए आपसे फ्लोर राइज चार्जेस लिए जा सकते है। यह चार्जेस नियत नहीं होते हैं और अलग-अलग बिल्डर द्वारा अलग-अलग चार्जेस लिए जाते हैं। आपको आंतरिक साज-सज्जा के लिए अतिरिक्त धनराशि खर्च करनी पड़ सकती है, विशेष रूप से यदि आप उसे अपनी मर्जी के अनुसार चाहते हैं।
अंत में, इन सभी अतिरिक्त लागतों के कारण आपके घर की कुल लागत में 10-15% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। यहां इस बात का उल्लेख करना ज़रूरी है कि यदि आप घर खरीदने के लिए होम लोन लेने पर विचार कर रहे हैं, तो लोन राशि को अंतिम रूप प्रदान करते समय उधारदाता द्वारा इन लागतों पर ध्यान नहीं दिया जाता है। मंजूर की जाने वाली राशि पूरी तरह से प्रॉपर्टी की वैल्यू पर निर्भर करेगी, और इन सभी लागतों को आपको अपनी ही जेब से खर्च करना होगा। इसलिए, आपको घर की कुल कीमत का अनुमान लगाने के लिए इन अतिरिक्त लागतों को ध्यान में रखना होगा और अपनी प्लानिंग की शुरुआत करने के समय से ही उनके लिए प्रावधान करना होगा। इससे आपके घर खरीदने का काम आसान हो जाएगा।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
Times Now Navbharat पर पढ़ें Business News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।