वर्ष 2021 में सोना (गोल्ड) में होने वाला उतार-चढ़ाव किसी मनोरंजन पार्क में होने वाले उतार-चढ़ाव से कम नहीं रहा है। पिछले साल की तेजी के बाद हमने इसमें प्रॉफिट बुकिंग और निचले स्तर पर मजबूती की स्थिति देखी और यह सब अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की अनिश्चितताओं, अलग-अलग फार्मा कंपनियों की वैक्सीन रिपोर्ट और डॉलर एवं यील्ड में उतार-चढ़ाव के बीच हुआ। इस वजह से ईटीएफ और सीएफटीसी में कुछ प्रॉफिट बुकिंग की स्थिति देखी गई, जो बताता है कि सटोरियों ने भी अपने पोजीशन को कम किया और इस वजह से रुझान प्रभावित हुए। हालांकि, इन सभी अनिश्चितताओं के बीच इस कीमती धातु को मजबूत बुनियादों से समर्थन मिला और इस वजह से बुल्स के लिए उम्मीदें ऊंची बनी रही।
जब हम महामारी और धातुओं के फंडामेंटल्स के बारे में बात कर रहे हैं, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आपूर्ति और मांग के बीच का संतुलन सरकार की तरफ से घोषित उपायों की वजह से बदल रहा है। वर्ष 2020 की शुरुआत अधिक कीमतों से हुई और इस दौरान मांग की स्थिति मजबूत थी और आपूर्ति के मोर्चे पर स्थिति उतनी बेहतर नहीं थी। महामारी की वजह से हाजिर बाजार को धक्का लगा, दुकानें बंद हुईं और लोग बाजार जाकर न तो सोना खरीद पाए और न ही उन्हें मौजूदा गोल्ड को रिसाइकल (पुनर्चक्रण) करने का मौका मिला। वहीं दूसरी तरफ कम मात्रा में होने वाली रिसाइकिल और खदानों के प्रभावित होने की वजह से समग्र तौर पर मांग प्रभावित हुई।
पहली तिमाही में अगर मांग और आपूर्ति के आंकड़ों को देखा जाए तो WGC के मुताबिक मजबूत उपभोक्ता मांग की वजह से ईटीएफ में हुई निकासी का असर संतुलित हुआ क्योंकि वैश्विक तौर पर अर्थव्यवस्थाओं में रिकवरी की स्थिति नजर आ रही थी। खनन उत्पादन में बढ़ोतरी के बावजूद पहली तिमाही में कुल आपूर्ति में 4% की गिरावट आई। आभूषणों की मांग 477.4टी रही जो कि सालाना आधार पर 52% अधिक थी। वर्ष 2013 की पहली तिमाही के बाद आभूषणों पर होने वाला खर्च सबसे ज्यादा रहा। गोल्ड बार और सिक्कों में निवेश 339.5टी रहा जो कि सालाना आधार पर 36% अधिक है और इसकी वजह से बारगेन हंटिंग और महंगाई में होने वाले इजाफे का अनुमान रहा। उपभोक्ता मांग में आई तेजी गोल्ड-समर्थित ईटीएफ से मजबूत निकासी द्वारा समायोजित हो गई, जिसमें पहली तिमाही में 1779टी चला गया। पहली तिमाही में केंद्रीय बैंकों की तरफ से शुद्ध रूप से खरीदारी हुई और इस वजह से गोल्ड रिजर्व में 95.5टी का इजाफा हुआ, जो कि सालाना आधार पर 23% कम और तिमाही आधार पर 20% अधिक है।
वर्ष 2021 में महामारी ने फिर से दस्तक दी है और कई सारी अर्थव्यवस्थाओं ने सख्त प्रतिबंधों की घोषणा की है, जिसकी वजह से एक बार फिर से इस धातु में खरीदारी लौटी है। कोविड-19 संक्रमण के मामले भारत में लगातार बढ़ रहे हैं और बाजार पर इसकी आशंका बनी हुई है लेकिन इस बार की स्थिति पिछले बार के मुकाबले थोड़ी अलग है। अभी तक देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा नहीं हुई है, बल्कि कुछ प्रतिबंधों की घोषणा की गई है। हालांकि इस बार मांग और आपूर्ति का समीकरण पिछले साल के मुकाबले अलग है। सरकार की तरफ से प्रस्तुत बजट में इस साल की शुरुआत में आयात शुल्क में कटौती की घोषणा की गई थी और इसकी वजह से कीमतों पर असर पड़ा और आभूषण कारोबारियों ने ज्यादा मात्रा में गोल्ड का आयात कर लिया। इसका असर मार्च के आंकड़ों पर भी नजर आया, जब 160टी का आयात किया गया, जो कि पिछले साल के मुकाबले 470% अधिक है। मजबूत फंडामेंटल्स की वजह से गोल्ड में एक बार फिर से तेजी आ रही है और यह हमारे बुलिश नजरिए की पुष्टि कर रहा है, जिसे हमने पिछले एक साल से अधिक समय से बरकरार कर रखा है।
जब हम मांग और आपूर्ति के समीकरण और त्योहारी सीजन के बारे में बात करते हैं तो हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि अक्षय तृतीया या तीज समेत हिंदुओं और जैन समुदाय के त्योहार इस हफ्ते नजदीक आ रहे हैं। इन त्योहारों के समय गोल्ड की मांग में इजाफा होता है और आयात के आंकड़ों को देखा जाए तो इस बार भी ऐसा ही होने की उम्मीद है। बेशक इस बार देश के अलग-अलग हिस्सों में लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर चिंताएं हैं, लेकिन यह पिछली बार की तरह लॉकडाउन के मुकाबले बेहतर स्थिति है। वहीं ऑनलाइन गोल्ड (मी गोल्ड), ईटीएफ जैसे अन्य प्लेटफॉर्म हैं, जहां खरीदार जोखिम के मुताबिक चयन कर सकते हैं।
ऐतिहासिक तुलना : चार्ट से साफ तौर पर जाहिर है कि सोने की कीमतों में त्योहारों के समय इजाफा होता है। कुछ ही ऐसे मामले हैं जहां कीमतों में मजबूती या फिर गिरावट आई है। ऐतिहासिक ट्रेंड के मुताबिक और मजबूत फंडामेंटल्स एवं टेक्निकल सेट अप की वजह से कीमतों में तेजी बरकरार रह सकती है।
डॉलर की कीमतों में गिरावट, अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में इजाफा, ईटीएफ मांग में तेजी और वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में कमी जैसे कई कारक हैं, जिस पर बाजार के भागीदारों की नजर है। हालांकि केंद्रीय बैंकों का रुख डोविश (अपेक्षाकृत कम सक्रिय) है लेकिन ब्याज दरों के निम्न स्तर पर ही रहने की उम्मीद है। चूंकि अब केंद्रीय बैंकों ने फिर से खरीदारी शुरू कर दी है तो हम भविष्य में ऊच्च आंकड़ों की उम्मीद कर सकते हैं और इससे कीमतों में तेजी देखने को मिल सकती है। कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामले, लगातार मिल रही तरलता, महंगाई की बढ़ती उम्मीद, कर्ज के दम पर बढ़ती अर्थव्यवस्था, मध्य पूर्व में तनाव, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध और कुछ अन्य कारक रुझानों को मजबूती देंगे और गोल्ड की कीमतों में तेजी आने की संभावना मजबूत होगी।
उपर्युक्त वर्णित अनिश्चितताओं के आधार पर हम गोल्ड के प्रति अपना आशावादी नजरिया कायम रख सकते हैं। पिछले कुछ महीनों के दौरान कीमतों में मजबूती की स्थिति देखने को मिली है और हाल ही में इसमें तेजी आई है जिसकी वजह से यह कॉमेक्स में 1800 डॉलर के करीब है। ऐसी स्थिति ठीक है और हम 2050 डॉलर और 2200 डॉलर के लक्ष्य के साथ शॉर्ट से मीडियम टर्म में खरीदारी की सलाह देते हैं। घरेलू मामलों में बजट के बाद कीमतों में आई गिरावट ठीक स्तर पर है और इस कीमत पर एक बार फिर से पोजीशन बनाई जा सकती है और इसके लिए तात्कालिक लक्ष्य 50,000 रुपये रखा जाना चाहिए। वहीं अगले 12-15 महीनों के लिए 56,500 का नया लक्ष्य बनाया जा सकता है।
(यह लेख मोतीलाल ओसवाल फाइनेंसियल सर्विसेज के आंकड़ों पर आधारित है)
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