एक निवेश विकल्प के तौर पर सोने (Gold) को भारतीय निवेशक काफी महत्व देते आए हैं। पारंपरिक और भावनात्मक जुड़ाव के अलावा, सोना का ट्रैक रिकॉर्ड फाइनेंशियल अनिश्चितता और महंगाई के समय में धन की रक्षा करने में काफी मददगार रहा है। कोविड-19 वैश्विक-महामारी के कारण स्टॉक मार्केट वोलेटाइल रहने के कारण ग्लोबल इकॉनमी को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सिर्फ गोल्ड इन्वेस्टमेंट पर ऐसे मुश्किल समय में भी काफी अच्छा रिटर्न मिल रहा है। 2018 से अब तक इसमें करीब 60% की बढ़ोत्तरी हुई है जिससे इसकी कीमत 50,000 रुपए प्रति 10 ग्राम से अधिक हो गई है। एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि कोविड-19 की वजह से मौजूदा अनिश्चितता के कारण सोने की मांग बढ़ती रहेगी जिससे इसकी कीमत और ऊपर जा सकती है। यदि आप भी इस मौके का फायदा उठाने के लिए गोल्ड में निवेश करके मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आप निम्नलिखित गोल्ड इन्वेस्टमेंट विकल्प पर विचार कर सकते हैं।
फिजिकल गोल्ड खरीदना, गोल्ड इन्वेस्टमेंट के सबसे पसंदीदा और सुविधाजनक तरीकों में से एक है। इसे आप सोने के गहने, सिक्के, बिस्कुट, इत्यादि के रूप में खरीद सकते हैं। यह शायद निवेश करने का सबसे आसान तरीका है क्योंकि इस तरह से गोल्ड खरीदने के लिए किसी ब्रोकर या सहयोग की जरूरत नहीं पड़ती है, और इसमें कोई इन्वेस्टमेंट लिमिट भी नहीं होता है। निवेश में आसानी के अलावा, पैसे की तुरंत जरूरत पड़ने पर इसे तुरंत बेचा भी जा सकता है। लेकिन इस तरह इसमें निवेश करने पर कुछ परेशानी या नुकसान भी उठाना पड़ता है जैसे इसे सुरक्षित रखने का खर्च, इसकी शुद्धता की चिंता, मेकिंग चार्ज, और इस पर लगने वाला टैक्स।
गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड में डिजिटल और सुविधाजनक तरीके से निवेश करने का मौका देता है। इसे आप शेयर की तरह स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से आसानी से खरीद या बेच सकते हैं। इस तरह निवेश करने पर यह आपके पास डिमैटरियलाइज्ड रूप में रहता है। इसमें निवेश करना फिजिकल गोल्ड की तुलना में ज्यादा सस्ता होता है क्योंकि इसे खरीदने और बेचने पर कोई चार्ज नहीं लगता है। आप किसी भी ईटीएफ की यूनिट प्राइस पर किसी भी लिमिट तक निवेश कर सकते हैं जो आम तौर पर एक ग्राम 24 कैरेट गोल्ड की कीमत से जुड़ा होता है। गोल्ड का डिमैटरियलाइज्ड रूप में होने के कारण इसमें शुद्धता और स्टोरेज की कोई चिंता नहीं रहती है। इससे होने वाले मुनाफे पर फिजिकल गोल्ड की तरह, यानी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स के लिए आपके टैक्स स्लैब रेट के अनुसार या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के लिए इंडेक्सेशन के साथ 20.6% टैक्स लगता है। इसके अलावा ट्रेड ब्रोकरेज, डीमैट चार्ज, जैसे कुछ चार्ज अलग से उठाने पड़ते हैं।
एसजीबी एक सरकार-समर्थित स्कीम है जिसमें निवेश करना फिजिकल गोल्ड की तुलना में ज्यादा आसान और सुरक्षित माना जाता है। इसमें निवेश करते समय, इसकी शुद्धता और स्टोरेज की चिंता नहीं रहती है। भारतीय रिज़र्व बैंक, सरकार की तरफ से इसके सब्सक्रिप्शन प्रोसेस को हैंडल करता है। सब्सक्रिप्शन हर साल कई बार फिक्स्ड पीरियड के लिए खुलते हैं और प्रत्येक पीरियड के लिए इसकी कीमत फिक्स्ड रहती है। एक व्यक्ति या एचयूएफ के लिए के लिए इसका मिनिमम इन्वेस्टमेंट लिमिट एक ग्राम और मैक्सिमम लिमिट चार किलो है।
ट्रस्ट और इसी तरह के अन्य संस्थान के लिए यह लिमिट 20 किलो प्रति वित्तीय वर्ष है। आप अपने इन्वेस्टमेंट एजेंट के माध्यम से या सीधे स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (SHCIL), निर्दिष्ट पोस्ट ऑफिस, एनएसई और बीएसई के माध्यम से एसजीबी को सब्सक्राइब कर सकते हैं। इस पर 2.50% प्रति वर्ष फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट मिलता है जो नोमिनल वैल्यू पर साल में दो बार मिलता है। फिजिकल गोल्ड और गोल्ड ईटीएफ के विपरीत, यह योजना आसान तरलता प्रदान नहीं करती है, क्योंकि इसे आठ साल के लिए लेना पड़ता है। लेकिन इसका लॉक-इन पीरियड सिर्फ 5 साल का है। आप इंटरेस्ट पेमेंट बाकी रखकर 5वें, 6ठे और 7वें साल से इससे बाहर निकल सकते हैं। एसजीबी में निवेश करन पर कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं लगता है क्योंकि इसे बेचने पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इसे ट्रांसफर करने पर किसी भी व्यक्ति को होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर इंडेक्सेशन बेनिफिट मिलता है। अन्य गोल्ड इन्वेस्टमेंट विकल्प के विपरीत, मेचुरीटी पर सुनिश्चित इंटरेस्ट इनकम और टैक्स-फ्री रिटर्न मिलने के कारण यह एक आकर्षक निवेश विकल्प बन जाता है जिसका कैपिटल गेन्स, एक्चुअल गोल्ड प्राइस से जुड़ा होता है।
आर्थिक अनिश्चितता या मार्केट वोलेटिलिटी के दौरान सोने की कीमत हमेशा बढ़ जाती है। इसका लॉन्ग-टर्म रिटर्न, मध्यम या कम रहने के बावजूद, इसमें आपको अन्य निवेश विकल्प की तरह निवेश करना चाहिए। सिर्फ बढ़ती कीमत को देखकर इसमें जरूरत से ज्यादा निवेश न करें। इसमें अपने इनकम, रिस्क प्रोफाइल, फाइनेंशियल लक्ष्य और रिटर्न के आधार पर ही निवेश करें। डायवर्सिफिकेशन सबसे अच्छी इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी है। इससे आपका गोल्ड इन्वेस्टमेंट सम्बन्धी रिस्क भी कम होगा और मार्केट वोलेटिलिटी के दौरान समय-समय पर अच्छा रिटर्न भी मिलेगा। इसलिए, अपना गोल्ड इन्वेस्टमेंट अपने टोटल इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो का 5-10% ही रखें।
इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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