चंडीगढ़ : पंजाब सरकार ने गुरुवार को अपने कर्मचारियों के मूल वेतन में न्यूनतम 15 प्रतिशत वृद्धि करने और कुछ भत्तों को फिर से बहाल करने की घोषणा की। राज्य सरकार की इस पहल से उसके खजाने पर 1,500 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। एक सरकारी बयान के अनुसार, इस के साथ राज्य के प्रति कर्मचारी वेतन/पेंशन में कुल औसत वृद्धि 1.05 लाख रुपये सालाना तक होगी।
कर्मचारियों को इससे पहले एक जुलाई 2021 से छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार किये जाने से 79,250 रुपए प्रति वर्ष मिल रहा था, उसके मुकाबले अब उन्हें अधिक राशि मिलेगी। इससे कर्मचारियों को 4,700 करोड़ रुपए का फायदा हुआ है।
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इससे कर्मचारियों की 31 दिसंबर, 2015 के मूल वेतन के ऊपर वेतन में वृद्धि होगी। उन्होंने सभी मंत्रियों, प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने कर्मचारियों से बात करके उनकी शिकायतों का जल्द से जल्द समाधान करें। छठे वेतन आयोग की कुछ सिफारिशों को लेकर कई विभागों के कर्मचारी राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आज की घोषणाओं के बाद कर्मचारियों की सभी जायज मांगों का समाधान हो जाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कर्मचारियों ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा तो नियमों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने इस मामले में 2.85 लाख कर्मचारियों और 3.07 लाख पेंशनरों की शिकायतों का समाधान करने के लिये कैबिनेट मंत्री ब्रहम महिन्द्रा तथा अन्य की सराहना की। ताजा वेतन वृद्धि से राज्य सरकार के खजाने पर वेतन और पेंशन वृद्धि का कुल मिलाकर 42,673 करोड़ रुपये का सालाना बोझ बढ़ेगा।
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