सरकार ने उठाया बड़ा कदम, अब कम होगी चावल की कीमत!

बिजनेस
डिंपल अलावाधी
Updated Sep 09, 2022 | 12:08 IST

Rice Price: भारत ने चावल के विभिन्न ग्रेड के निर्यात पर शुल्क लगा दिया है। डोमेस्टिक सप्लाई बढ़ाने के लिए सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है। इससे स्थानीय कीमतों को नियंत्रित रखा जाएगा।

government imposed duty on export of rice to check domestic price rice
सरकार ने बड़ा फैसला, विदेशों में चावल भेजना हुआ महंगा (Pic: iStock) 

नई दिल्ली। डोमेस्टिक बाजार में चावल के दाम (Rice Price) में तेजी पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। चावल की घरेलू कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने चावल की कुछ किस्मों के निर्यात पर 20 फीसदी शुल्क लगा दिया है। इससे कम अंतरराष्ट्रीय खरीदार भारतीय आपूर्तिकर्ताओं से अनाज खरीदेंगे और भारत में सप्लाई को बढ़ावा मिलेगा और इस तरह कीमतों को कमी आएगी। नई ड्यूटी 9 सितंबर यानी आज से लागू हो गई है। इसके अलावा केंद्र ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से टुकड़ा चावल के निर्यात पर प्रतिबंध भी लगा दिया है।

किन चावलों पर लगा शुल्क?
स्थानीय आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए पारबॉयल्ड राइस के अतिरिक्त सभी किस्मों के गैर-बासमती चावल (non-Basmati rice) के निर्यात पर शुल्क लगाया गया है। दरअसल मौजूदा खरीफ सीजन में चावल की बुवाई के क्षेत्र में गिरावट के बीच उत्पादन प्रभावित होने की उम्मीद है।

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सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स ने आगे कहा कि 'सेमी मिल्ड या फुल मिल्ड चावल, चाहे पॉलिश हो या ग्लेज्ड (पारबॉयल्ड चावल और बासमती चावल के अलावा)' के निर्यात पर भी 20 फीसदी की कस्टम ड्यूटी लगेगी।

कृषि मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, चालू खरीफ सीजन में धान की फसल के तहत बुवाई का रकबा 383.99 लाख हेक्टेयर है, जो कुछ राज्यों में खराब बारिश के कारण 5.62 फीसदी की गिरावट है।

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दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है भारत
उल्लेखनीय है कि वैश्विक व्यापार में 40 फीसदी हिस्सेदारी के साथ भारत चीन के बाद चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में निर्यात 21.2 मिलियन टन दर्ज किया गया था। इस आंकड़े में से 3.94 मिलियन बासमती चावल (Basmati rice) थे। भारत ने इसी अवधि में 6.11 अरब डॉलर मूल्य के गैर-बासमती चावल का निर्यात किया।

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