नयी दिल्ली: सरकार चीन से आयात घटाने और घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन के लिए कदम उठा रही है। सूत्रों ने कहा कि दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव की वजह से नीति निर्माताओं का चीन के खिलाफ एक झटके से कदम उठाने का इरादा नहीं है।
भारत के कुल आयात में चीन का हिस्सा करीब 14 प्रतिशत का है। चीन भारत में मोबाइल फोन, दूरसंचार, बिजली, प्लास्टिक के खिलौने तथा महत्वपूर्ण फार्मा सामग्री क्षेत्र का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार का एक प्रमुख कदम चीन से खराब गुणवत्ता वाले उत्पादों के आयात को रोकना है। इसके तहत करीब 370 उत्पादों के लिए तकनीकी नियमन तैयार किए जा रहे हैं। इनमें सुरक्षा और गुणवत्ता मानक शामिल हैं। सूत्रों ने कहा कि सरकार का इरादा चीन जैसे देशों से इन गैर-आवश्यक उत्पादों का आयात घटाना है।
इन उत्पादों में रसायन, इस्पात, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, भारी मशीनरी, दूरसंचार सामान, कागज, रबड़ का सामान, शीशा, औद्योगिक मशीनरी, धातु का सामान, फर्नीचर, फार्मा, उर्वरक, खाद्य और कपड़ा शामिल है।
नीति निर्माता भारत द्वारा चीन जैसे व्यापारिक देशों के खिलाफ गैर-शुल्क बाधाओं पर भी विचार कर रहे हैं।अन्य कदमों के तहत ऐसी वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने पर विचार किया जा रहा है जो चीन से बाहर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करना चाहती हैं।सरकार ने हाल में टायरों के आयात पर अंकुश लगाया है।
इसके अलावा भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों से विदेशी निवेश के लिये पूर्व अनुमति को अनिवार्य कर दिया गया गया है, जिससे घरेलू कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण को रोका जा सके। वाणिज्य मंत्रालय ने 12 ऐसे क्षेत्रों... खाद्य प्रसंस्करण, जैविक खेती, लौह, एल्युमीनियम एवं तांबा, कृषि रसायन, इलेक्ट्रॉनिक्स, उद्योग मशीनरी, फर्नीचर, चमड़ा एवं जूता-चप्पल, वाहन कलपुर्जे, कपड़ा तथा कवरऑल्स मसलन मास्क, सैनिटाइजर और वेंटिलेटर को चिन्हित किया है, जिसमें भारत को वैश्विक आपूर्तिकर्ता बनाने का लक्ष्य है। इससे आयात बिल घटाने में भी मदद मिलेगी।
चीन से सक्रिय औषधि सामग्री (एपीआई) के आयात पर निर्भरता घटाने के लिए सरकार ने मार्च में 13,760 करोड़ रुपये की चार योजनाओं को मंजूरी दी है। इसके पीछे उद्देश्य थोक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देना और इनका निर्यात बढ़ाना है।
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