नई दिल्ली। भारत में समग्र फूज सिक्योरिटी की स्थिति को मैनेज करने के लिए और पड़ोसी देशों की जरूरतों का समर्थन करने के लिए मई महीने में गेहूं के निर्यात पर बैन लगाने के बाद अब सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने गेहूं के आटे के निर्यात के लिए अंतर- मंत्रालयी समिति की मंजूरी को जूरूरी बना दिया है। केंद्र ने आटा और इससे जुड़े उत्पादों, जैसे मैदे और सूजी के एक्सपोर्ट पर सख्ती बढ़ा दी है। इस संदर्भ में विदेशी व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने नोटिफिकेशन भी जारी किया है, जो 12 जुलाई 2022 से प्रभावी होगा।
डीजीएफटी की अधिसूचना सभी निर्यातकों के लिए किसी भी आउटबाउंड शिपमेंट से पहले गेहूं निर्यात पर अंतर-मंत्रालयी समिति से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य बनाती है। इस संदर्भ में डीजीएफटी ने कहा कि गेहूं और गेहूं के आटे के ग्लोबल सप्लाई में व्यवधान से कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा गया है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि भारत से गेहूं के आटे के निर्यात की क्वालिटी बनाए रखना जरूरी है।
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निर्यात पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं
नोटिफिकेशन के अनुसार, गेहूं के आटे की क्वालिटी के संबंध में आवश्यक नियम अलग से अधिसूचित किए जाएंगे। गेहूं के आटे की निर्यात नीति मुक्त रहती है और इस पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है, हालांकि, निर्यातकों को इसके लिए एक इंटर मिनिस्ट्रियल कमेटी से अनुमति लेनी होगी।
क्यों लगाया था गेहूं के निर्यात पर बैन?
गेहूं के निर्यात पर लगे बैन का मकसद गेहूं की आपूर्ति की जमाखोरी को रोकने के साथ ही महंगाई पर लगाम लगाना भी था। इसके अलावा गेहूं बाजार को एक स्पष्ट दिशा प्रदान करने के उद्देश्य से भी प्रतिबंध लगाया गया था।
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