एक लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी, एक ऐसा फाइनेंसियल प्रोडक्ट है जिसे आप अपने परिवार की सुरक्षा के लिए खरीदते हैं। इससे आपके परिवार को आपकी असमय मौत होने पर फाइनेंसियल सुरक्षा मिलती है। चाहे वह डेथ बेनिफिट वाला एक बेसिक टर्म लाइफ इंश्योरेंस प्लान हो या क्रिटिकल ईलनेस बेनिफिट या मैच्योरिटी पर प्रीमियम वापसी जैसे राइडर्स वाला एक कम्प्रिहेंसिव प्लान, आपकी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी को आपकी अनुपस्थिति में आपके परिवार का ख्याल रखने में सक्षम होना चाहिए।
लेकिन, सही पॉलिसी चुनने और नियमित रूप से प्रीमियम देने का मतलब यह नहीं है कि आपको फिर कभी कवरेज के बारे में सोचना नहीं पड़ेगा। आपको समय-समय पर और अपनी जीवन परिस्थिति, आमदनी, और जिम्मेदारियों में बदलाव होने पर, अपने लाइफ इंश्योरेंस कवरेज को रिव्यू करना चाहिए। आपको कम-से-कम साल में एक बार, या अपने जीवन में शादी या बच्चे का जन्म जैसे बदलाव होने पर, अपनी लाइफ इंश्योरेंस सम्बन्धी जरूरतों पर ध्यान देना चाहिए।
परिवार में बदलाव जैसे शादी, बच्चा पैदा होने, अपने रिटायर्ड माता-पिता को अपने साथ ले जाने, या कोई अन्य महत्वपूर्ण बदलाव होने पर रेगुलर खर्च और इंश्योरेंस सम्बन्धी जरूरतें बदल जाती हैं। उस समय आप अपने कवर को रिव्यू करते हुए, अपनी गैर-मौजूदगी के दौरान अपने डिपेंडेंट्स की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उसे इम्प्रूव कर सकते हैं। कामकाजी लोगों का कवर, उनकी मौजूदा वार्षिक आमदनी का कम-से-कम 10 गुना होना चाहिए। यानी, 5 लाख रु. कमाने वाले व्यक्ति के पास कम-से-कम 50 लाख रु. का लाइफ इंश्योरेंस होना चाहिए। आप मानव जीवन मूल्य (HLV) विधि का इस्तेमाल करके भी अपनी लाइफ इंश्योरेंस सम्बन्धी जरूरत का पता लगा सकते हैं जिसके तहत इंश्योरेंस सम्बन्धी जरूरत का पता लगाने के लिए अपनी मौजूदा आमदनी, खर्च, प्रत्याशित भावी जिम्मेदारियों, और लक्ष्यों पर विचार करना पड़ता है। आप ऑनलाइन उपलब्ध HLV कैलकुलेटर की मदद ले सकते हैं।
साल-दर-साल आमदनी में लगातार बढ़ोत्तरी होने पर भी आपको अपने लाइफ इंश्योरेंस कवरेज को रिव्यू करना चाहिए क्योंकि अब आप पहले की तुलना में ज्यादा प्रीमियम देने में सक्षम हो सकते हैं। ज्यादा आमदनी के कारण रहन-सहन का स्तर भी बढ़ सकता है, और आप नहीं चाहेंगे कि आपकी गैर-मौजूदगी में आपके परिवार को कोई परेशानी हो। ऐसे में ज्यादा इंश्योरेंस अमाउंट की जरूरत पड़ती है। नौकरी छूटने पर भी प्रीमियम बंद नहीं करना चाहिए। अपने परिवार को फाइनेंसियली सुरक्षित रखने के लिए सबसे पहले इंश्योरेंस प्रीमियम देना चाहिए। किस्तों में प्रीमियम दे पाने के लिए आप अपनी इंश्योरेंस कंपनी से प्रीमियम पेमेंट फ्रीक्वेंसी में बदलाव करने के लिए कह सकते हैं।
रहन-सहन के खर्च पर महंगाई का बहुत गहरा असर पड़ता है जो समय के साथ बढ़ती ही रहती है। इसलिए पॉलिसी खरीदते समय अपने परिवार के खर्च को पूरा करने के लिए निर्धारित किया गया उचित इंश्योरेंस अमाउंट, महंगाई के कारण कुछ साल बाद नाकाफी लग सकता है। इसलिए हर 2-3 साल में अपनी पॉलिसी को रिव्यू करके, अपनी जरूरत के अनुसार कवरेज को बढ़ाते रहना चाहिए। जैसे, यदि आप एक टर्म इंश्योरेंस ले रहे हैं तो वह आपकी गैर-मौजूदगी में आपके परिवार के लाइफस्टाइल को बनाए रखने के लिए आपकी आमदनी की भरपाई करने लायक होना चाहिए।
कहने की जरूरत नहीं है कि उम्र बढ़ने के साथ देनदारियां भी बढ़ जाती हैं। हो सकता है कि लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय आपको सिर्फ एक व्हीकल लोन चुकाना था लेकिन अब आपने होम लोन (या अपने बच्चों के लिए एजुकेशन लोन) भी ले लिया है। आपको देखना चाहिए कि क्या आपकी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी का इंश्योरेंस अमाउंट, आपकी गैर-मौजूदगी में आपके परिवार की फाइनेंसियल जरूरतों के साथ-साथ इन देनदारियों को भी कवर कर सकता है या नहीं। यदि आपने होम लोन जैसा कोई बड़ा कर्ज ले रखा है तो उसे कवर करने के लिए अतिरिक्त लाइफ कवरेज लेने पर विचार करें। आप एक लोन प्रोटेक्शन प्लान या एक रेगुलर टर्म प्लान ले सकते हैं। इससे आपकी गैर-मौजूदगी में भी आपका परिवार, फाइनेंसियल परेशानी से दूर रहेगा।
संक्षेप में, एक लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी को आपके लाभार्थियों को पर्याप्त कवरेज देना चाहिए ताकि उन्हें आपकी गैर-मौजूदगी में कोई फाइनेंसियल परेशानी न हो। यह देखना भी जरूरी है कि इंश्योरेंस अमाउंट, सही लाभार्थी के हाथ में जाना चाहिए। समय-समय पर अपनी पॉलिसी को रिव्यू करते रहने से उसमें जरूरी बदलाव करने में मदद मिलती है। जीवन में शादी, तलाक, बच्चे का जन्म, इत्यादि जैसे बदलाव होने पर इंश्योरेंस अमाउंट के साथ-साथ अपने लाभार्थियों में भी बदलाव करना चाहिए। समय, जिम्मेदारी और आमदनी बदलने पर आपकी इंश्योरेंस सम्बन्धी जरूरत बदल जाती है। इसलिए, अपनी सबसे हालिया जरूरत को ध्यान में रखते हुए अपने कवरेज में बदलाव करना चाहिए।
इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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