भारत में खासकर महिलाओं ने बदलाव का एक लंबा सफर तय किया है! अब तक उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी में रोजमर्रा के घरेलू कामों से लेकर परिवार की देखभाल करना शामिल होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब उनके लिए भी अच्छी शिक्षा और नौकरियों के अवसर उपलब्ध हैं और भारतीय महिलाएं उच्च शिक्षा ले रही हैं, नौकरी कर रही हैं और जीवन के हर क्षेत्र में अपने देश का नाम रौशन कर रही हैं।
समाज में महिलाओं की यह भूमिका काबिले तारीफ है, लेकिन इस कहानी का एक दूसरा पहलू भी है। भारत की महिलाएं अपने पेशे पर पूरा ध्यान देने और घरेलू जिम्मेदारियों के बीच सही संतुलन बनाने के लिए काफी अधिक मेहनत करती हैं। ऐसा करने की कोशिशों में उनकी दैनिक जीवनशैली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान होता है।
एक सच्चाई यह भी है कि काफी कम महिलाएं अपने जीवन में बेहतर स्वास्थ्य को महत्व देती हैं क्योंकि अधिकतर महिलाएं अपने पेशेवर एवं निजी जीवन के बीच लुका छिपी का खेल खेलने में ही व्यस्त रहती हैं।
यह बेहद जरूरी है कि महिलाओं को सबसे पहले अपने व्यक्तिगत जीवन और खुद का ध्यान रखने को प्राथमिकता बनाना चाहिए, क्योंकि इन्हीं के कंधों पर काफी हद तक परिवार को चलाने का जिम्मा होता है। अक्सर देखा जाता है कि कामकाजी महिलाओं को पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती और ना ही इनके पास सुबह एक्सरसाइज के लिए समय होता है।
इसके साथ ही खाने-पीने की खराब आदतों के चलते युवा महिलाओं के कई सारी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। भारत में अधिकतर नौकरीपेशा महिलाएं तनाव और बेचैनी का शिकार होने के साथ ही मानसिक परेशानियों से भी जूझती हैं। वहीं, पिछले दशक के दौरान डायबिटीज, थायरॉयड, बांझपन के मामले भी कई गुना बढ़ चुके हैं। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी भारत में युवा महिलाओं को शिकार बनाने लगी हैं।
भारत में दिल की बीमारियों का कारण बनने वाले जोखिम कारकों पर सफोलालाइफ के हालिया अध्ययन के अनुसार हर पांच में से दो महिलाएं कार्डियोवास्कुलर डिजीज यानि दिल की बीमारी के खतरे के साये में जी रही हैं। एक चौंकाने वाली जानकारी यह भी सामने आई है कि महिलाओं में महज 35 की उम्र से ही दिल की बीमारी का उच्च जोखिम पैदा होने लगता है।
यह खतरा गृहणियों के साथ-साथ कामकाजी महिलाओं में भी काफी अधिक पाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार उम्र के 35 वर्ष पार कर चुकी 60 प्रतिशत से अधिक गृहणियां और 65 प्रतिशत से अधिक नौकरीपेशा महिलाएं किसी न किसी दिल की बीमारी के खतरे में जी रही हैं।
भारत में कैंसर के मामलों की संख्या भी हर साल बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, जहां पुरुषों में फेफड़ों, होंठ, गला और गर्दन के कैंसर सबसे आम हैं, वहीं महिलाएं गर्भाशय, स्तन और ओवैरियन कैंसर का अधिक शिकार बन रही हैं। कैंसर के इस बढ़ते प्रकोप के चलते भारत को वर्ष 2020 तक कम से कम 600 नए कैंसर केयर सेंटर की जरूरत पड़ेगी।
एक हालिया मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, स्तन कैंसर का शिकार होने वाली 48% महिलाएं जीवन में रजोनिवृति पूर्व की उम्र में हैं। इसके अलावा, भारत में हर साल सर्वाइकल कैंसर के 1 लाख नए मामलों की पहचान की जा रही है। भारत में महिलाओं का औसत जीवनकाल 69 वर्ष है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन्हें अपने जीवन के मेडिकल खर्चों से निपटने के लिए पर्याप्त बचत पूंजी की जरूरत पड़ेगी।
इसलिए, महिलाओं के लिए यह भी बेहद जरूरी होगा कि अपने जीवन में जल्द से जल्द एक व्यापक हेल्थ इंश्योरेंस प्लान की सुरक्षा भी हासिल कर लें। ऊपर बताए गए आंकड़े इस सच्चाई के संकेत हैं कि हमारे समाज में अधिक महिलाओं के बीच हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने का प्रचलन बढ़ने लगा है।
इसके साथ ही, पोषण में कमी, कमजोर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा सुविधाएं, स्वच्छता एवं परिवहन सुविधाओं में कमी के चलते भारतीय महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है। भारत का मैटरनल मोर्टैलिटी रेश्यो (MMR) दक्षिण एशिया में सबसे अधिक है। प्रत्येक 100,000 जीवित प्रसव जन्म के दौरान 540 महिलाओं की मौत होती है या फिर हर पांच मिनट में एक महिला की मौत होती है। भारत में गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताओं के कारण प्रति वर्ष 1,36,000 महिलाओं की मौत होती है।
महिलाओं के स्वास्थ्य की बात करें तो, अगर एक महिला को किसी बड़ी बीमारी की पुष्टि हो जाती है, तो इससे ना सिर्फ उसके स्वास्थ्य को नुकसान होता है बल्कि उसके संपूर्ण जीवन और उस पर निर्भर लोगों के जीवन पर भी नकरात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही, आज के दौर में मेडिकल सेवाएं इतनी महंगी हो चुकी हैं कि ‘इंश्योरेंस’ की मदद के बिना किसी भी व्यक्ति के लिए अपना इलाज करा पाना लगभग नामुमकिन ही है। इसलिए एक हेल्थ इंश्योरेंस सभी उम्र की महिलाओं के बेहद जरूरी है।
अविवाहित लड़कियां अपने माता-पिता के साथ हेल्थ इंश्योरेंस करा सकती हैं, तो शादीशुदा महिलाओं को व्यक्तिगत पॉलिसी ही लेनी चाहिए। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह है कि भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाएं मेडिकल सेवाओं का इस्तेमाल अधिक करती हैं। वहीं, भारत में महिलाओं का अनुमानित जीवनकाल भी पुरुषों से थोड़ा अधिक है। लेकिन महिलाओं को गंभीर बीमारियों का खतरा भी अधिक रहता है और इन्हें मेडिकल सेवाओं की जरूरत भी अधिक पड़ती है।
ऐसे कई सारे हेल्थ इंश्योरेंस प्लान हैं, जो एक महिला के लिए गर्भावस्था जैसे विभिन्न जीवन चरणों के लिए लाभ प्रदान करते हैं। अब तो पहले की तुलना में महिलाओं के पास मैटरनिटी बेनिफिट प्लान खरीदने के बेहतर विकल्प भी उपलब्ध हैं, जो कि पहले सिर्फ कॉर्पोरेट प्लान में ही मिलते थे। हालांकि, अब ऐसी कंपनियां भी हैं जो मैटरनिटी कवर को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ ऐड-ऑन के रूप में पेश करती हैं।
अधिकतर मैटरनिटी प्लान 2-4 वर्ष की प्रतीक्षा अवधि के साथ आते हैं और ग्राहकों को यह हमेशा सलाह दी जाती है कि इसे शादी के बाद जल्द से जल्द खरीदें। वहीं, कुछ इंश्योरेंस कंपनियां अतिरिक्त प्रीमियम लेकर छोटी प्रतीक्षा अवधि के साथ भी मैटरनिटी कवर देने लगी हैं। बाजार में महिलाओं के उपलब्ध विशेष प्रोडक्ट्स उनकी खास विशिष्ट जरूरतों और गंभीर बीमारियों को कवर करते हैं।
इन उत्पादों के लिए कोई विशेष प्रीमियम भी नहीं लिया जाता है। लेकिन एक महिला के रूप में आपको पूरी जानकारी रखना जरूरी है। एक ऐसे प्लान में निवेश करें जिसका फायदा आपको कई तरह से मिले। उदाहरण के लिए, आपको एक ऐसा प्लान चुनना चाहिए, जो आपको विभिन्न विकल्प देता हो, जैसे वार्षिक/मासिक प्रीमियम चुकाने की सुविधा, पॉलिसी से बाहर रखी गई बीमारियां, पॉलिसी के डिडक्टेबल्स क्या हैं, क्या कोई वेवर बेनिफिट मिलेगा, क्या आप कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन सुविधा ले सकती हैं आदि।
यहां नीचे टेबल में 5 प्रमुख इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा प्रदान किये जाने वाले हेल्थ इंश्योरेंस की तुलना की गई है। यह सभी प्लान एक मेट्रो शहर में रहने वाली 30 वर्षीय महिला के लिए हैं, जिनमें मैटरनिटी कवर के साथ 5 लाख रुपए का सम इंश्योर्ड है।
इंश्योरेंस कंपनी | प्लान का नाम | मैटरनिटी लिमिट | वार्षिक प्रीमियम |
रेलिगेयर इंश्योरेंस कंपनी | जॉय टुडे | 50,000 | 7089 |
एचडीएफसी अर्गो | हेल्थ सुरक्षा गोल्ड | 15,000 | 6943 |
स्टार हेल्थ इंश्योरेंस | स्टार कॉम्प्रिहेन्सिव | 10,000 | 8278 |
अपोलो म्यूनिक हेल्थ इंश्योरेंस | ईज़ी हेल्थ इंडिविजुअल एक्सक्लुसिव | 15,000 | 8655 |
मैक्स बूपा इंश्योरेंस कंपनी | हार्टबीट गोल्ड | 40,000 | 11261 |
*रेलिगयर के जॉय टुडे प्लान का प्रीमियम 3 वर्ष के लिए दिया गया है क्योंकि यह प्लान सिर्फ 3 वर्ष और 5 वर्ष के लिए ही उपलब्ध है।
(इस लेख के लेखक अमित छाबड़ा, हेड, हेल्थ इंश्योरेंस, पॉलिसी बाजार डॉट कॉम हैं।)
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए। आप कोई भी फैसला लेने से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें।)
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