धीरे-धीरे इंफ्लेशन कई दशकों के अपने उच्चतम स्तरों की तरफ बढ़ रही है, और इसी के नतीजे में ब्याज दरों में बढ़ोतरी हो रही है। इंफ्लेशन और ब्याज दरों के कारण भारतीय स्टॉक्स मार्केट्स में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। म्यूचुअल फंड निवेशकों के पोर्टफोलियो के मूल्य में गिरावट हो रही है, और विशेष रूप से ऐसा ईक्विटी-ओरिएन्टेड स्कीमों में हो रहा है। हालांकि, दीर्घकालिक निवेशकों को चिंता नहीं करनी चाहिए या अनावश्यक रूप से घबराना नहीं चाहिए, लेकिन वर्तमान स्थिति में निवेश स्ट्रेटजी को बनाने की जरूरत है ताकि उनके पोर्टफोलियो की देखभाल की जा सके और दीर्घकालिक वैल्थ तैयार की जा सके।
निवेशकों को म्यूचुअल फंड्स पर केवल फाईनेंशियल प्रोडक्ट्स के तौर पर ही विचार नहीं करना चाहिए बल्कि उन्हें अपने दीर्घकालिक फाईनेंशियल लक्ष्यों के लिए समाधान समझना चाहिए। अनुशासित और सिस्टेमैटिक एप्रोच और वार्षिक पोर्टफोलियो समीक्षा से वित्तीय स्वतंत्रता अवश्य मिलनी चाहिए। निवेश के दौरान, निवेशकों द्वारा निवेश संबंधी बेसिक्स से छेड़छाड़ से बचते हुए, मार्केट की स्थितियों के अनुसार अल्प से दीर्घकाल की अवधि के लिए स्ट्रेटीज को स्विच करने पर विचार किया जा सकता है। मौजूदा उच्च इंफ्लेशन स्थिति और मध्यम अवधि में उसके जारी रहने की संभावना, आपके म्यूचुअल फंड निवेश की स्ट्रेटजी तय करने का अवसर साबित हो सकती है। यहां उन स्ट्रेटीज के बारे में चर्चा की गई है जिन्हें जारी स्थिति में अधिक से अधिक लाभ कमाने के लिए आप फॉलो कर सकते हैं।
ईक्विटी निवेशकों को एसआईपी या एकमुश्त रूप से अपने निवेश को टॉप-अप करना जारी रखना चाहिए। जैसाकि स्टॉक मार्केट, हाल के अपने ऐतिहासिक उच्च स्तरों से लगभग 20% नीचे गिर चुकी है, इसलिए, निवेशकों के लिए यह अवसर है कि वे निम्न नेट एस्सेट वैल्यू (एनएवी) पर यूनिट्स खरीद सकते हैं ताकि वे अपने निवेश की लागत को एवरेज आउट कर सकें। इसलिए, फंड्स की उपलब्धता होने पर, आप वर्तमान उतार-चढ़ाव का जितना हो सके लाभ उठाने की कोशिश करें। आप सिस्टेमैंटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) का इस्तेमाल करने पर विचार कर सकते हैं जहां पर आप किसी लिक्विड स्कीम में आपके एक मुश्त निवेश को लक्षित स्कीम में ट्रांसफर कर दिया जाता है- इस मामले में यह वह ईक्विटी स्कीम होगी जिसे आप चुनते हैं।
मौजूदा डेट निवेशक या ऐसे निवेशक जो डेट में निवेश करना चाहते हैं, वे अल्पकालिक डेट फंड्स में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं, जो ब्याज दरों में होने वाले उतार-चढ़ावों से कम प्रभावित होने की संभावना रखते हैं। निवेशकों को यह याद रखना चाहिए कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी का डेट इंस्ट्रुमेंट की वैल्यू से रिवर्स रिश्ता होता है। आम शब्दों में कहा जाए तो उच्च-ब्याज चक्र के दौरान डेट फंड्स का पर्फार्मेंस अच्छा नहीं रहता है। साथ ही, आप क्रेडिट-जोखिम डेट फंड्स से भी दूर रह सकते हैं।
गोल्ड को इंफ्लेशन के विरूद्ध सुरक्षा माना जाता है। मौजूदा निवेशक गोल्ड से जुड़े ईटीएफ यानि गोल्ड ईटीएफ या सॉवरन गोल्ड बॉन्ड्स (एसजीबी) को शामिल करके डायवर्सिफिकेशन पर विचार कर सकते हैं। आदर्श रूप से, गोल्ड के लिए आवंटन, आपके कुल पोर्टफोलियो के 5-10% से अधिक नहीं होना चाहिए। यदि गोल्ड में आपका निवेश 5% से कम है, तो आप गोल्ड फंड्स में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। नए निवेशकों को भी शुरूआत करने के लिए गोल्ड से संबंधित फंड्स में 5% एक्पोज़र पर विचार करना चाहिए।
किसी भी सफल निवेश अनुभव के लिए एस्सेट एलोकेशन महत्वपूर्ण होता है। विभिन्न एस्सेट क्लासेज़ के वैल्यूएशन पर निर्भर करते हुए, निवेशकों पर उन स्कीमों पर अधिक ध्यान देना चाहिए जिसमें डेट और ईक्विटी के बीच में इनबिल्ट एस्सेट एलोकेशन की व्यवस्था शामिल हो। इस फीचर से, वैल्यू पर निर्भर करते हुए, एलोकेशन में बार-बार परिवर्तन किया जाता है, और निवेशकों को दोनों एस्सेट्स क्लासेज़ का सर्वश्रेष्ठ लाभ मिलता है। पूरी तरह से ईक्विटी या डेट स्कीमों की तुलना में, इस प्रकार के फंड्स से मिलने वाले रिटर्न अधिक स्टेबल होते हैं।
वार्षिक पोर्टफोलियो समीक्षा महत्वपूर्ण होती है, और साथ ही एसआईपी निवेश की मात्रा की समीक्षा करना भी मायने रखता है। इंफ्लेशन के चलते, किसी भी निवेशक को हर वर्ष कम से कम 10% एसआईपी राशि को बढ़ाते रहना चाहिए। इससे यह तय होता है कि आपके निवेश वैल्यू द्वारा प्रभावी रूप से भावी फाईनेंशियल लक्ष्यों का ध्यान रखा जाता है और निवेश की प्रक्रिया के दौरान इंफ्लेशन के कारण पैदा होने वाले तनाव को नियंत्रित रखा जाता है।
जब तक आपको वास्तव में फंड्स की वास्तव में जरूरत न हो, अपने ईक्विटी निवेश को रिडीम न करें। रिडम्पशन करवाने के लिए गिरता हुआ बाजार कभी भी कारण नहीं होना चाहिए। घबराहट भरी स्थिति ही वह सर्वश्रेष्ठ समय होता है जब निवेश के साथ बने रहना चाहिए अथवा अधिक फंड्स का निवेश करना चाहिए। बड़ी वैल्थ तैयार करने के लिए मौजूदा स्थिति को एक अवसर मानें। यदि आप घबराहट में रिडीम करवाते हैं, तो आप वैल्थ क्रिएशन भी नहीं कर पाएंगे और साथ ही निवेश के साथ आपके खराब अनुभव के कारण आप भविष्य में निवेश करने से भी हिचकिचाएंगे, जिसके मायने हैं, आपको दो तरफा फाईनेंशियल हानि होगी।
ऐसी स्थिति में, सेक्टर-ओरिऐन्टेड फंड्स जिन्हें कोर डायवर्सिफाइड ईक्विटी पोर्टफोलियो के लिए सेटेलाइट फंड्स भी कहा जाता है, उन पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। हाल के महीनों में, बैंकिंग, फार्मास्यूटिकल्स और आईटी जैसे सेक्टर में बहुत अधिक गिरावट दर्ज की गई है। निवेशकों को इन स्कीमों में अलग-अलग स्तर पर एकमुश्त निवेश करने पर विचार करना चाहिए, जिससे दीर्घकाल में आपके समग्र निवेश पोर्टफोलियो में बहुत अधिक वैल्यू जुड़ जाएगी।
उपरोक्त चर्चा की गई सभी स्ट्रेटीज़ सभी प्रकार के निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती हैं। किसी भी स्ट्रेटजी को अपनाने से पहले, आपको जोखिम प्रोफाइल, आयु और लक्ष्य पर विचार कर लेना चाहिए। निवेशक अधिक सोच समझ कर निर्णय लेने के लिए अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श ले सकते हैं।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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