नई दिल्ली। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2016-2020 के बीच भारत की सोने की आपूर्ति का 86 फीसदी आयात हुआ। उच्च आयात शुल्क (Import Duty) के बावजूद सोने के आयात में वृद्धि जारी है। WGC की 'Bullion Trade in India' की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2012 में पहली बार शुल्क वृद्धि के बाद से, भारत ने लगभग 6,581 टन सोने का आयात किया। इसके हिसाब से प्रति वर्ष औसतन आयात 730 टन बनता है।
2020 में 30 से ज्यादा देशों से आयात किया सोना
2020 में भारत ने 30 से भी ज्यादा देशों से 377 टन सोने का आयात किया। इनमें से 55 फीसदी आयात सिर्फ दो देशों, स्विट्जरलैंड (44 फीसदी) और संयुक्त अरब अमीरात (11 फीसदी) से किया गया। भारत के सोने के बाजार में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है- सोने के डोर आयात (dore imports) में वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह वृद्धि गोल्ड रिफाइनिंग के प्रति सरकार के उदार रुख को दर्शाती है।
डोर का आयात पीली धातु के कुल आयात का 30 फीसदी
पिछले पांच सालों में सोने के डोर का आयात पीली धातु के कुल आधिकारिक आयात का 30 फीसदी हिस्सा था। शुल्क लाभ से देश में रिफाइनिंग क्षमता का व्यापक विस्तार हुआ क्योंकि रिफाइनरियों की संख्या 2012 में तीन से बढ़कर 2020 में 32 हो गई। मौजूदा समय में 25 से 26 रिफाइनरियां सक्रिय हैं, जिनकी कुल क्षमता 1,200 से 1,400 टन है।
अगले साल मजबूत हो सकता है सोने का आयात
सोने के डोर पर शुल्क कम होने से सोने के आयात में उसकी हिस्सेदारी 2014 के 11 फीसदी से बढ़कर 2020 में 29 फीसदी हो गई है। दूसरे सबसे बड़े वैश्विक बाजार के रूप में, भारतीय सोने की मांग बुलियन और डोर आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। मौजूदा बाजार के रुझान को देखते हुए इस वर्ष की तुलना में 2022 में सोने का आयात मजबूत होगा।
डब्ल्यूजीसी के रीज्नल सीईओ, भारत, Somasundaram P R ने कहा कि, 'भारत में पिछले तीन दशकों में सर्राफा उद्योग विकसित हुआ है, जिसमें संगठित रिफाइनिंग क्षमता और LBMA मान्यता प्राप्त रिफाइनरी में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।'
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