निवेश करने के तमाम तरीके हम सबके सामने हैं, मसलन शेयर मार्केट, यूलिप, एसआईपी, बॉन्ड्स के जरिए हम अपने भविष्य को खुशहाल बनाने की उम्मीद करते हैं। इन सबके बीच पारंपरिक तौर पर फिक्स्ड डिपॉजिट का विकल्प सदाबहार है,पहले ग्राहक को अपनी एफडी पर मिलने वाले ब्याज के बारे में जानकारी के लिए बैंकों के चक्कर लगाने पड़ते थे। लेकिन अब हाईटेक जमाने में घर बैठे भी एफडी पर ब्याज की गणना की जा सकती है।
गैर संचयी फिक्स्ड डिपॉजिट
गैर-संचयी फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेशन करने पर समय-समय पर ब्याज भुगतान का लाभ उठाया जा सकता है। पनी पसंद के आधार पर मासिक, त्रैमासिक, अर्ध-वार्षिक या वार्षिक रूप से ब्याज भुगतान का विकल्प भी चुन सकते हैं।
संचयी फिक्स्ड डिपॉजिट क्या है
संचयी फिक्स्ड डिपॉजिट में इन्वेस्ट करने पर ब्याज को वार्षिक रूप से जोड़ा जाता है, लेकिन इसका भुगतान मेच्योरिटी पर किया जाता है। अब इन दोनों स्थितियों में अगर आप निवेश करते हैं को उत्सुकता रहती है कि रिटर्न का गुणागणित किया जाए तो आप को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। ऑनलाइन FD मेच्योरिटी कैलकुलेटर का उपयोग करना बहुत आसान है। यहां हम फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दर को कैलकुलेट करने के बारे में बताएंगे।
फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दर की गणना
एफडी मेच्योरिटी के बारे में ऐसे मिलती है जानकारी
एफडी मेच्योरिटी राशि की जानकारी पाने के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट कैलकुलेटर या टर्म डिपॉजिट कैलकुलेटर का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए FD कैलकुलेटर पेज पर जाएं और अपना कस्टमर प्रकार, FD प्रकार मतलब संचयी या गैर संचयी और अपनी मूल राशि व अवधि का चयन करें। आप ऑटोमैटिक रूप से निर्धारित अवधि के लिए मूलधन पर अर्जित ब्याज और फिक्स्ड डिपॉजिट की कुल मेच्योरिटी राशि को देख सकते हैं।
समय समय पर भुगतान पाने का विकल्प
समय-समय पर भुगतान पाने का विकल्प और मासिक फ्रिक्वेंसी चुनते हैं, तो मासिक तौर पर ब्याज का भुगतान भी पा सकते हैं। जब आप FD में अपना पैसा निवेश करते हैं, तो मूल राशि पर समय समय पर ब्याज पाने के हकदार हैं। अगर आप अपने इन्वेस्टमेंट से मासिक इनकम चाहते हैं, तो मासिक आधार पर अपने ब्याज का भुगतान प्राप्त करने का विकल्प चुना जा सकता है। फिक्स्ड डिपॉजिट कैलकुलेटर का उपयोग करके मासिक ब्याज की गणना आसानी से की जा सकती है। ब्याज भुगतान की फ्रिक्वेंसी के आधार पर ब्या दर में बदलाव होता है। इसका अर्थ यह है कि जितनी बार ब्याज निकालते हैं आने वाले समय में प्राप्ति कम होती है।
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