इन्वेस्टमेंट रिस्क को खत्म करना आसान नहीं है। कभी-कभी मार्केट, इन्वेस्टर की उम्मीद के अनुसार काम नहीं करता है और कुछ इन्वेस्टमेंट्स, अंडरपरफॉर्म कर सकते हैं और उम्मीद के अनुसार रिटर्न देने में असफल हो सकते हैं। जिससे आपके फाइनेंसियल लक्ष्य समय पर पूरा न हो पाएंगे। कभी-कभी, कोई इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट, मार्केट में उस जैसे अन्य प्रोडक्ट से कम रिटर्न दे सकते हैं। इसलिए, अंडरपरफॉरमेंस एक आम बात है। लेकिन सवाल यह है कि इन्वेस्टमेंट्स अंडरपरफॉर्म करने लगें तो क्या करना चाहिए? आइए, विभिन्न प्रकार के इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स के सम्बन्ध में इसका जवाब ढूंढते हैं।
इक्विटी म्यूच्यूअल फंड्स, डेब्ट फंड्स से ज्यादा वोलेटाइल होते हैं। मार्केट में कुछ इक्विटी फंड्स उन जैसे अन्य फंड्स की तुलना में अंडरपरफॉर्म कर सकते हैं। इसलिए आपको जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। थोड़ा रूककर अंडरपरफॉरमेंस का कारण मालूम करें। कभी-कभी, कोई इक्विटी फंड, अपने पोर्टफोलियो में मौजूद कुछ स्टॉक के खराब परफॉरमेंस के कारण अंडरपरफॉर्म कर सकता है। उसका अंडरपरफॉरमेंस जारी रहने पर और फंड मैनेजर में बदलाव, फंड मैनेजर द्वारा खराब शेयर का चयन, इत्यादि जैसे कारण दिखाई देने पर, आप अपने इन्वेस्टमेंट को बेहतर रिटर्न दे सकने वाले अन्य इक्विटी फंड्स में ट्रांसफर कर सकते हैं। सही इक्विटी फंड चुनने के लिए एक सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर की मदद लें।
डेब्ट फंड्स, इक्विटी फंड्स से ज्यादा स्टेबल और कम रिस्की होते हैं। लेकिन, यदि आपका डेब्ट फंड, मार्केट में उस जैसे अन्य फंड्स की तुलना में अंडरपरफॉर्म कर रहा है तो आपको फंड के पोर्टफोलियो का विश्लेषण करना चाहिए। फंड पोर्टफोलियो को उसके इन्वेस्टमेंट उद्देश्य के साथ मिलान करके पता लगाएं कि अंडरपरफॉरमेंस अस्थायी है या और बिगड़ सकता है। यदि आपका फंड, ज्यादा एक्सपेंस रेशियो, इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी में परिवर्तन, या मैनेजमेंट के समस्यापूर्ण दृष्टिकोण के कारण अच्छा परफॉर्म नहीं कर रहा है और उसमें जल्दी सुधार होने वाला नहीं है तो आप उस फंड से बाहर निकल सकते हैं या किसी दूसरे उपयुक्त डेब्ट फंड में जा सकते हैं। लेकिन कोई भी कदम उठाने से पहले पता करें कि डेब्ट फंड का अंडरपरफॉरमेंस, चक्रीय है या अस्थायी आर्थिक प्रभाव के कारण है।
स्टॉक मार्केट में डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट, जायदा वोलेटाइल होता है और लगातार अच्छा रिटर्न कमाने के लिए बहुत ज्यादा धैर्य और सही दृष्टिकोण की जरूरत पड़ती है। यदि आपका स्टॉक इन्वेस्टमेंट, अंडरपरफॉर्म कर रहा है या निगेटिव रिटर्न दे रहा है तो आपको सबसे पहले अपने पोर्टफोलियो का विश्लेषण करके देखना चाहिए कि कोई एक स्टॉक, अच्छा नहीं कर रहा है या पूरा पोर्टफोलियो, आपके पसंदीदा बेंचमार्क इंडेक्स की तुलना में अंडरपरफॉर्म कर रहा है। यदि कोई स्टॉक, अंडरपरफॉर्म कर रहा है तो उसके सेक्टर परफॉरमेंस के साथ उसकी तुलना करें। यदि उसका सेक्टर, अच्छा परफॉर्म नहीं कर रहा है तो आप इन्वेस्टेड रह सकते हैं। लेकिन, यदि इंडस्ट्री अंडरपरफॉर्म कर रहा है तो आपको उसकी वजह मालूम करनी चाहिए और भविष्य में परफॉरमेंस अच्छा होने की उम्मीद न होने पर उस स्टॉक को बेच देना चाहिए। यदि पूरा पोर्टफोलियो अंडरपरफॉर्म कर रहा है तो कारण का पता लगाने और जरूरत पड़ने पर फिर से पोर्टफोलियो तैयार करने के लिए एक इन्वेस्टमेंट एडवाइजर की मदद लें।
चाहे आपने बैंक FDs में इन्वेस्ट किया हो या करने जा रहे हों, खास तौर पर मार्केट में मौजूद अन्य इंस्ट्रूमेंट्स की तुलना में, हाल के महीने में इंटरेस्ट रेट्स का घटना, आपके लिए चिंता का विषय हो सकता है। लेकिन, कोई भी फैसला करने से पहले, खास तौर पर इस अनिश्चित समय में जब पैसे की सुरक्षा, पैसे बढ़ाने जितना जरूरी हो गया है, FDs से ज्यादा रिटर्न दे सकने वाले दूसरे इंस्ट्रूमेंट के रिस्क के बारे में जान लें। यदि आपकी रिस्क क्षमता कम है तो आप FDs में इन्वेस्ट कर सकते हैं या ज्यादा रिटर्न कमाने के लिए अपने इन्वेस्टमेंट को अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग FDs में तोड़कर एक इन्वेस्टमेंट लूप तैयार कर सकते हैं या अपने इन्वेस्टमेंट का एक हिस्सा, बेकार में रिस्क फैक्टर बढ़ाए बिना, ज्यादा रिटर्न दे सकने वाले दूसरे इंस्ट्रूमेंट्स, जैसे, स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स, लिक्विड फंड्स, सूटेबल डेब्ट फंड्स, AAA-रेटेड कॉर्पोरेट FDs, इत्यादि में डाल सकते हैं।
यदि आपकी रिस्क क्षमता अधिक है तो आपको अपने इन्वेस्टमेंट का एक हिस्सा, अच्छी तरह रिस्क का मूल्यांकन करने के बाद इक्विटी फंड SIP जैसे ज्यादा रिटर्न दे सकने वाले ज्यादा रिस्की इंस्ट्रूमेंट्स में डालना चाहिए। इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स चुनते समय आपको अपनी लिक्विडिटी सम्बन्धी जरूरतों और अपने पोर्टफोलियो के बैलेंस जैसे अन्य महत्वपूर्ण कारकों पर भी ध्यान देना चाहिए।
रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट के मामले में, आपको एक के साथ दूसरे शहर, स्थान, सेगमेंट, और साइज के रियल एस्टेट में इन्वेस्टमेंट की तुलना नहीं करनी चाहिए। एक ही शहर में अलग-अलग जगह पर रियल एस्टेट की कीमत अलग-अलग हो सकती है। प्रॉपर्टी की कीमत पर आसपड़ोस में नौकरी की उपलब्धता, इंफ्रास्ट्रक्चर, सुख-सुविधाएं, रोड कनेक्टिविटी, इत्यादि जैसे कारकों का असर पड़ता है। इसलिए, यदि रियल एस्टेट में आपका इन्वेस्टमेंट फंस गया है तो आपको उस इलाके में और उसके आसपास विकास का मूल्यांकन करना चाहिए। उम्मीद के अनुसार रिटर्न न मिलने पर जल्दबाजी में फैसला न करें।
संक्षेप में, प्रत्येक इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट, अलग-अलग प्रकार के फाइनेंसियल उद्देश्यों को पूरा करते समय अलग-अलग भूमिका निभाता है। इसलिए, एक जैसे रिस्क वाले एक जैसे इंस्ट्रूमेंट्स के साथ अंडरपरफॉरमेंस की तुलना करें और जरूरत पड़ने पर अच्छी तरह खोजबीन करने के बाद सोच-समझकर सुधारवादी कदम उठाएं।
इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
Times Now Navbharat पर पढ़ें Business News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।