Edible oil Prices : देश में सस्ते तेलों का आयात बढ़ने और इनके मुकाबले देशी तेल महंगा पड़ने से दिल्ली तेल तिलहन बाजार में गुरुवार को सरसों समेत तेल सरसों, मूंगफली और सोयाबीन तिलहन दबाव में रहे। बाजार सूत्रों के मुताबिक सरकार ने खाद्य तेलों का आयात शुल्क मूल्य घोषित किया हैं जिसमें कच्चे पाम तेल का शुल्क मूल्य 628 डॉलर प्रति टन से घटाकर 622 डॉलर प्रति टन कर दिया जबकि बाजार भाव 660 डॉलर प्रति टन का है। वहीं, सोयाबीन डीगम का आयात शुल्क मूल्य 728 डॉलर प्रति टन से बढ़ाकर 747 डॉलर किया गया है। इसका बाजार भाव 775 डॉलर के आसपास है। उधर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा कि दलहन उत्पादन में प्राप्त आत्मनिर्भरता को तिलहन में भी दोहराया जाना चाहिए ताकि देश खाद्य तेलों का आयात घटा सके। तोमर के हवाले से एक सरकारी बयान में कहा गया कि पामतेल उत्पादन को अनुसंधान और खेती रकबे का विस्तार कर बढ़ाने की जरूरत है। तोमर ने कहा कि आयात पर निर्भरता कम करने, स्वस्थ खाद्य पदार्थों के उत्पादन को बढ़ाने तथा दालों और तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की भी जरूरत है।
सूत्रों का कहना है कि आयात शुल्क मूल्य में की गई कमी या वृद्धि बाजार भाव को ध्यान में रखकर नहीं की गई है और यह तेल उद्योग की अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन तेल व्यापारियों ने पहले से सीपीओ का 15-20 हजार टन का माल खरीद रखा था, केवल उन्हें ही शुल्क कम किए जाने से फायदा होगा जबकि घरेलू तिलहन उत्पादक किसान और तेल उद्योग का हित गंभीर रूप से प्रभावित होगा।
सोयाबीन उत्पादकों को सस्ते आयात से नुकसान की आशंका है। देश में पहले से ही पुरानी सायोबीन का स्टॉक बचा है और अगले एक-दो महीने में नई फसल भी बाजार में आ जाएगी। ऐसे में विदेशी से सोयाबीन का आयात भी जारी रहने से भाव टूट सकतें हैं और उत्पादकों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना मुश्किल होगा। बाजार कारोबारी मानते हैं कि सरकार को घरेलू उत्पादकों के हित में सस्ते तेलों के आयात पर उचित हिसाब से शुल्क बढ़ाना चाहिए।
सरसों तिलहन : 4,640- 4,690 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपए।
मूंगफली दाना : 4,745 - 4,795 रुपए।
वनस्पति घी : 965 - 1,070 रुपए प्रति टिन।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) : 12,500 रुपए।
मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल : 1,880 - 1,930 रुपए प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी : 9,580 रुपए प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी : 1,530 - 1,670 रुपए प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी : 1,625 - 1,745 रुपए प्रति टिन।
तिल मिल डिलिवरी तेल : 11,000 - 15,000 रुपए।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली : 9,020 रुपए।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर : 8,850 रुपए।
सोयाबीन तेल डीगम : 7,900 रुपए।
सीपीओ एक्स-कांडला : 7,020 रुपए।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) : 7,800 रुपए।
पामोलीन आरबीडी दिल्ली : 8,500 रुपए।
पामोलीन कांडला : 7,800 रुपए (बिना जीएसटी के)।
सोयाबीन तिलहन डिलिवरी भाव : 3,680- 3,705 लूज में 3,415--3,480 रुपए।
मक्का खल (सरिस्का) : 3,500 रुपए
हाजिर बाजार की कमजोर मांग के बीच सटोरियों ने अपने सौदों के आकार को कम किया जिससे वायदा कारोबार में गुरुवार को धनिया की कीमत 12 रुपए की हानि के साथ 6,230 रुपए प्रति क्विन्टल रह गई। एनसीडीईएक्स में धनिया के अगस्त महीने में डिलीवरी वाले अनुबंध की कीमत 12 रुपए अथवा 0.19 प्रतिशत की गिरावट के साथ 6,230 रुपए प्रति क्विन्टल रह गई जिसमें 3,085 लॉट के लिए कारोबार हुआ। हालांकि, धनिया के सितंबर महीने में डिलीवरी वाले कॉन्ट्रैक्ट की कीमत 46 रुपए अथवा 0.74 प्रतिशत बढ़कर 6,298 रुपए प्रति क्विन्टल हो गयी जिसमें 35 लॉट के लिए कारोबार हुआ। बाजार एक्स्पर्ट ने कहा कि हाजिर बाजार की कमजोर मांग के कारण मुख्यत: वायदा कारोबार में धनिया कीमत में गिरावट दर्ज हुई।
हाजिर बाजार में कमजोरी के रुख के बीच कारोबारियों ने अपने सौदों के आकार को कम किया जिससे वायदा कारोबार में गुरुवार को बिनौलातेल खली की कीमत 43 रुपए की गिरावट के साथ 2,007 रुपए प्रति क्विन्टल रह गयी। एनसीडीईएक्स में बिनौलातेल खली के अगस्त महीने में डिलीवरी वाले अनुबंध की कीमत 43 रुपए अथवा 2.1 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2,007 रुपए प्रति क्विन्टल रह गयी जिसमें 45,220 लॉट के लिए कारोबार हुआ। हालांकि, बिनौलातेल खली के सितंबर महीने में डिलीवरी वाले कॉन्ट्रैक्ट की कीमत समान अंतर की गिरावट के साथ 1,954 रुपए प्रति क्विन्टल रह गयी जिसमें 16,710 लॉट के लिए कारोबार हुआ। बाजार सूत्रों ने कहा कि बाजार में कमजोरी के रुख के बीच मौजूदा स्तर पर कारोबारियों की बिकवाली से मुख्यत: वायदा कारोबार में बिनौलातेल खली कीमत में गिरावट आई।
देश के प्रमुख शोध संस्थान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 92वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आयात पर निर्भरता कम करने की भी जरूरत है। तिलहन की नई किस्मों को विकसित करने पर जोर देते हुए, तोमर ने कहा कि दालों के उत्पादन में प्राप्त आत्मनिर्भरता को तिलहन उत्पादन के मामले में भी दोहराया जाना चाहिए ताकि खाद्य तेलों का आयात कम हो। कच्चे तेल और सोने के बाद भारत में तीसरे स्थान पर सबसे अधिक आयात खाद्य तेल का होता है।
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