Indian Economy History: ब्रितानिया हुकूमत, जिसने भारत पर करीब तीन सौ सालों तक राज किया। सोने की चिड़िया कहे जाने वाले हिन्दुस्तान को जमकर लूटा। इतना लूटा कि भारत के लोग दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए। हिन्दुस्तान ही संपत्तियों पर ही अंग्रेज अपना खजाना भी भरते थे और ऐश भी करते थे। जब देश आजाद हुआ तो कई घरों का हाल ऐसा था कि एक वक्त के खाने के लिए सोचना पड़ता था। देश का खजाना खाली था और समस्याओं का अंबार लगा हुआ था। कई राज्य अकाल के मुहाने पर खड़े थे।
आजादी के बाद का हाल
हिन्दुस्तान जब आजाद हुआ तो उसकी जीडीपी सिर्फ 2.7 लाख करोड़ थी। अनाज आयात किया जाता था। मतलब जो देश आज दुनिया का पेट भरने के लिए तैयार है, वो एक समय में भूखे रहने के लिए मजबूर था। आजादी के बाद नेताओं को ये समझ आ गया था कि अगर भारत अपने पैरों पर खड़ा नहीं हुआ तो बर्बाद हो जाएगा। देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू से लेकर लाल बहादुर शास्त्री तक ने इस पर काम किया। देश में आईआईटी, आईआईएम खोले गए। हरित क्रांति की नींव रखी गई। रूस की सहायता से उद्योग लगाए गए। पंचवर्षीय योजना ने देश के विकास में अहम भूमिका निभाई। अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू किए गए। मतलब जिन रास्तों पर अमेरिका, यूरोप और रूस चल रहे थे, उसी रास्ते पर उन्हें चुनौती देते हुए भारत आगे बढ़ने लगा।
1951 से 1979 तक भारत की आर्थिक विकास दर 3.1 प्रतिशत थी। इस समय पूंजी को लेकर भारत की अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही थी। भारत चीन-पाकिस्तान से चार युद्ध लड़ चुका था, बांग्लादेश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका था। युद्ध के कारण भारत की हालत खराब हो रखी थी। इमरजेंसी लग गई, कई बार चुनाव हुआ, सत्ता में परिवर्तन होते रहे। 90 के दशक में भारत की अर्थव्यवस्था का हाल खराब हो चुका था।
उदारीकरण के बाद सुधरी स्थिति
1990 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में आर्थिक उदारीकरण की नीति लाई गई। इस नीति से विदेशों से पूंजी भारत में आनी शुरू हुई। नए उद्योगों का विकास हुआ। देश में विदेशी निवेश (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, पोर्टफोलियो निवेश, और अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजार में जुटाए गए निवेश सहित) 1991-92 में US$132 मिलियन से बढ़कर 1995-96 में $5.3 बिलियन हो गया। 1993-94 में गरीबी 36 प्रतिशत से घटकर 1999-00 में 26.1 प्रतिशत हो गई। 10 वर्षों के भीतर, सकल घरेलू उत्पाद में कुल वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार का अनुपात 17.2 प्रतिशत से बढ़कर 30.6 प्रतिशत हो गया। इसके बाद 2008 की वैश्विक मंदी में भी भारत पर असर नहीं पड़ा और वो विकास करते रहा।
बनी पांचवीं अर्थव्यवस्था
2014 के बाद जब मोदी सरकार सत्ता में आई तो कई बदलाव हुए। नोटबंदी आई, जीएसटी लाया गया और इन सबके बीच कोरोना आ गया, जिससे भारत समेत पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई। कोरोना के खत्म होने के बाद भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ चुकी है। कृषि के क्षेत्र से लेकर उद्योग के क्षेत्र तक में भारत ने काफी विकास किया है। जो खाद्यान का उत्पादन 1950 में 5.49 करोड़ टन था वो अब 2020-21 में 30.5 करोड़ टन हो चुका है। अब भारत गेहूं, चीनी सहित कई अनाजों का रिकॉर्ड स्तर पर उत्पादन कर रहा है।
कुछ दिन पहले ही आई रिपोर्ट के अनुसार भारत, ब्रिटेन को पछाड़ते हुए दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन चुका है। ब्लूमबर्ग के अनुसार हिन्दुस्तान, ब्रिटेन से आगे निकल चुका है। भारत की अर्थव्यवस्था ने 2021 के अंतिम तीन महीनों में छलांग लगाते हुए इंग्लैंड को पीछे छोड़ दिया है। रिपोर्ट के अनुसार मार्च तिमाही में भारत की नॉमिनल जीडीपी $ 854.70 बिलियन थी, जबकि ब्रिटेन की $ 816 बिलियन थी।
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