नई दिल्ली। अप्रैल और मई 2022 के दौरान रूस से भारत का आयात लगभग चार गुना बढ़कर 5 अरब डॉलर को पार हो गया है। पूर्वी यूरोप में भू-राजनीतिक संकट के मद्देनजर ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के बीच कच्चे तेल (Crude Oil) की मांग सबसे ज्यादा रही। चालू वित्त वर्ष में सिर्फ दो महीनों में 5 अरब डॉलर के आयात पर, खेप का मूल्य 2021-22 के पूरे वर्ष में हुए आयात का लगभग आधा है।
इन प्रोडक्ट्स के आयात में हुई तेजी
आधिकारिक सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी के बाद से, जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, आयात साढ़े तीन गुना बढ़कर 8.6 अरब डॉलर हो गया, जबकि 2021 में इसी अवधि में यह 2.5 अरब डॉलर था। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पेट्रोलियम के अलावा कुछ अन्य प्रोडक्ट्स जैसे फर्टिलाइजर और खाने के तेल के आयात में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कोकिंग कोल और स्टीम कोल में भी तेजी देखी गई है।
पिछले महीने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा व्यापार घाटा, आयात-निर्यात बढ़ा
व्यापार घाटे में बढ़त
प्रोजेक्ट निर्यात और कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर, बड़े पैमाने पर हीरे, उन सेक्टर्स में से हैं जिनका आयात कम हो गया है। बढ़ते आयात के साथ निर्यात में कमी आई है, जिसने 2022-23 के पहले दो महीनों के दौरान व्यापार घाटे को बढ़ाकर 4.8 अरब डॉलर कर दिया है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में यह 900 मिलियन डॉलर था।
अप्रैल और मई 2022 के दौरान, मिनरल फ्यूल का आयात छह गुना बढ़कर 4.2 अरब डॉलर होने का अनुमान लगाया गया था। इस सेगमेंट में कच्चे पेट्रोलियम शिपमेंट का मूल्य लगभग 3.2 अरब डॉलर था, जबकि अप्रैल और मई 2021 के दौरान कोई आयात नहीं किया गया था।
फरवरी में जब युद्ध शुरू हुआ, तब रूस से मिनरल ऑयल का आयात हर महीने बढ़ा है। फरवरी से मई 2022 के दौरान इसका मूल्य 5.3 अरब डॉलर आंका गया था। जो पिछले साल की समान अवधि से पांच गुना अधिक है।
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