नई दिल्ली। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, भारत दुनिया में खीरे (Cucumber) का सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है। अप्रैल-अक्टूबर 2020-21 के दौरान भारत ने 114 मिलियन डॉलर के मूल्य के साथ 1,23,846 मीट्रिक टन खीरे और ककड़ी (Gherkins) का निर्यात किया है।
भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में एग्रीकल्चर प्रोसेस्ड उत्पाद के निर्यात का 200 मिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया। वैश्विक स्तर पर खीरे के इस प्रोसेस्ड प्रोडक्ट को गेरकिंस या कॉर्निचंस के रूप में जाना जाता है। साल 2020-21 में भारत ने 223 मिलियन डॉलर के मूल्य के साथ 2,23,515 मीट्रिक टन ककड़ी और खीरा निर्यात किया था।
वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के निर्देशों का पालन करते हुए, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने बुनियादी ढांचे के विकास, वैश्विक बाजार में उत्पाद को बढ़ावा देने और प्रोसेसिंग यूनिट में खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली के पालन में कई पहल की है।
20 से अधिक देशों में होता है निर्यात
खीरे को दो श्रेणियों के तहत निर्यात किया जाता है। इन्हें सिरका या एसिटिक एसिड से तैयार और संरक्षित किया जाता है। मौजूदा समय में खीरे को 20 से अधिक देशों को निर्यात किया जाता है, जिनमें प्रमुख उत्तरी अमेरिका, यूरोपीय देश और संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, दक्षिण कोरिया, कनाडा, जापान, बेल्जियम, रूस, चीन, श्रीलंका जैसे समुद्री देश और इजराइल है।
किसानों को हो रहा फायदा
अपनी निर्यात क्षमता के अलावा, खीरा उद्योग ग्रामीण रोजगार के सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में अनुबंध खेती के तहत लगभग 90,000 छोटे और सीमांत किसानों द्वारा 65,000 एकड़ के वार्षिक उत्पादन क्षेत्र के साथ खीरे की खेती की जाती है। प्रोसेस्ड खीरे को इंडस्ट्रियल कच्चे माल के रूप में और खाने के लिए जार में थोक में निर्यात किया जाता है। भारत में ड्रम और रेडी-टू-ईट उपभोक्ता पैक में खीरे का उत्पादन और निर्यात करने वाली लगभग 51 प्रमुख कंपनियां हैं।
एक एकड़ जमीन में खेती पर 80,000 रुपये कमाते हैं किसान
एक खीरा किसान औसतन प्रति फसल 4 मीट्रिक टन प्रति एकड़ का उत्पादन करता है और 40,000 रुपये की शुद्ध आय के साथ लगभग 80,000 रुपये कमाता है। खीरे की फसल 90 दिन की होती है और किसान सालाना दो फसल लेते हैं।
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