2021 में रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ने के लिए विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर भारत: रिपोर्ट

बिजनेस
डिंपल अलावाधी
Updated Jun 16, 2022 | 13:49 IST

केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने कहा कि हम दुनिया में सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अक्षय ऊर्जा क्षमता हैं। यही ग्रीन हाइड्रोजन के लिए जरूरी है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर में भारत एक प्रमुख देश के रूप में उभरेगा।

India on 3rd position for highest renewable power capacity in 2021
हाइड्रोजन के निर्यात के लिए जापान और जर्मनी से हुई बात (Pic: iStock) 

नई दिल्ली। साल 2021 में भारत 15.4 गीगावॉट की कुल रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता वृद्धि के साथ ग्लोबल स्तर पर तीसरे स्थान पर है। सिर्फ चीन (136 गीगावॉट) और अमेरिका (43 गीगावॉट) ही भारत से आगे हैं। REN21 की रिन्यूएबल्स 2022 ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट (REN21's Renewables 2022 Global Status Report) ने एक स्पष्ट चेतावनी दी है कि ग्लोबल ग्रीन एनर्जी ट्रांसिशन नहीं हो रहा है, जिससे यह संभावना है कि दुनिया इस दशक में महत्वपूर्ण जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम नहीं होगी।

सबसे बड़े एनर्जी संकट की शुरुआत
साल 2021 की दूसरी छमाही में आधुनिक इतिहास के सबसे बड़े एनर्जी संकट की शुरुआत हुई। REN21 के कार्यकारी निदेशक राणा अदीब ने कहा कि साल 2021 में  कईऔर सरकारें शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए प्रतिबद्ध थीं, लेकिन एनर्जी संकट की वजह से ज्यादातर देश जीवाश्म ईंधन के नए स्रोतों की तलाश करने और अधिक कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जलाने के लिए वापस चले गए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने साल 2021 में 843 मेगावॉट की हाइड्रो पावर क्षमता जोड़ी है, जिससे कुल क्षमता बढ़कर 45.3 गीगावॉट हो गई है। नई सोलर पीवी क्षमता के लिए भारत एशिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार था। वैश्विक स्तर पर भारत तीसरा सबसे बड़ा (2021 में 13 गीगावॉट अतिरिक्त) बाजार था। पहली बार जर्मनी (59.2 GW) को पछाड़ते हुए भारत में कुल इंस्टॉलेशन 60.4 GW हुई और इस मामले में चौथे स्थान पर रहा।

ये है भारत का लक्ष्य
मालूम हो कि केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने बुधवार को कहा कि सरकार ने आने वाले समय में हाइड्रोजन के एक्सपोर्ट के लिए जापान और जर्मनी सहित कई अन्य देशों के साथ बातचीत की है। सिंह रिन्यूएबल एनर्जी का मंत्रालय भी संभाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि साल 2030 तक भारत दो करोड़ टन ग्रीन हाइड्रोजन के प्रोडक्शन का लक्ष्य लेकर चल रहा है।

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