Elon Musk Bougt Twitter:दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क (Elon Musk) के ट्विटर (Twitter) खरीदने के बाद भूचाल सा आ गया है। एक तरफ जहां इस डील से बाइडेन प्रशासन की चिंताएं बढ़ गई हैं। वहीं भारतीय मूल के ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं। यह कयास इसलिए भी बढ़ गए हैं कि पराग ने डील के बाद कर्मचारियों से टाउनहाल में जिस तरह से बातें की, उससे कंपनी में उनकी भविष्य की भूमिका पर बातें शुरू हो गई है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार अपने कर्मचारियों से उन्होंने कहा है कि भविष्य अधेंरे में हैं।
5 महीने पहले पराग बने थे सीईओ
भारतीय मूल के पराग अग्रवाल बीते दिसंबर में ट्विटर के सीईओ बने थे। अग्रवाल ने 10 साल पहले सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर ट्विटर ज्वाइन किया था। और 2017 में वह कंपनी के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर बन गए थे। इसके बाद जैक डोर्सी के इस्तीफा देने के बाद पराग अग्रवाल को कंपनी का सीईओ बनाया गया था।
सोमवार को हुई डील के बाद कर्मचारियों से बात करते हुए ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल ने कहा कि सोशल मीडिया का भविष्य अभी अनिश्चित है। जब डील पूरी हो जाएगी तो हमें नहीं पता है कि प्लेटफॉर्म किस दिशा में जाएगा। जहां तक ट्रंप की वापसी का सवाल है कि मुझे उम्मीद है कि इस बारे में हमें मस्क से बात करने का मौका मिलेगा। यह ऐसा सवाल है जिस पर हमें उनसे बात करनी चाहिए। पराग से ज्यादातर कर्मचारियों ने छंटनी को लेकर भी सवाल पूछे। इस पर उन्होंने कहा कि अभी ऐसी कोई बात नहीं है। इसके अलावा कंपनी के तरफ से यह भी कहा गया है कि सभी मसलों पर मस्क जल्द ही कर्मचारियों से बात करेंगे।
क्या हटेंगे पराग अग्रवाल
एसोसिएसट प्रेस के अनुसार डील के बाद मस्क ने कहा है कि ट्विटर फ्री स्पीच के लिए अपनी क्षमता के अनुरूप काम नहीं कर रहा है। मस्क के बयान और पराग अग्रवाल के अनिश्चितता को लेकर दिए गए बयान से इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं, कि अग्रवाल की सीईओ पद से विदाई हो सकती है। सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर पराग अग्रवाल एक साल के अंदर (नियुक्ति से) सीईओ के पद से हटाए जाते हैं तो उन्हें 42 मिलियन डॉलर की राशि मिल सकती है।
बाइडेन प्रशासन ने भी जताई चिंता
बाइडेन प्रशासन के सूत्रों के अनुसार इस डील के बाद सबसे बड़ी चिंता यही है कि ट्विटर पर गलत सूचनाओं की बाढ़ आ सकती है। और अगर ऐसा होता है तो 2024 के अमेरिकी चुनाव पर असर होगा। क्योंकि दुनिया भर में सोशल मीडिया मतदाताओं को प्रभावित करने का सबसे बड़ा जरिया बना गया है।
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