नई दिल्ली। भारत से एक्सपोर्ट पर जोर देने के साथ ग्लोबल ट्रेड के ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए और भारतीय रुपये में ग्लोबल ट्रेडिंग कम्युनिटी की बढ़ती रुचि का समर्थन करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय बैंक ने भारतीय रुपये (INR) में इनवॉइसिंग, पेमेंट और आयात या निर्यात के निपटान के लिए एक अतिरिक्त व्यवस्था करने का निर्णय लिया है। इस मैकेनिज्म को लागू करने से पहले, AD बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक, मुंबई के केंद्रीय कार्यालय के विदेशी मुद्रा विभाग से अप्रूवल की आवश्यकता होगी।
तत्काल प्रभाव से लागू होता है आदेश
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA) के तहत भारतीय रुपये में सीमा पार व्यापार लेनदेन के लिए सभी निर्यात और आयात को रुपये में मूल्यवर्गित और इन्वॉइस किया जा सकता है। दो ट्रेडिंग पार्टनर देशों की मुद्राओं के बीच विनिमय दर बाजार निर्धारित हो सकती है। इस व्यवस्था के तहत व्यापार लेनदेन का सेटलमेंट भारतीय रुपये में होगा। आरबीआई ने कहा कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होता है और मैकेनिज्म को निर्यात पर जोर देने के साथ वैश्विक व्यापार के विकास को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया है।
बढ़ेगी परेशानी! फिर से रिकॉर्ड निचले स्तर पर फिसला रुपया
विदेशी एक्सचेंज मैनेजमेंट (डिपॉजिट) विनियम, 2016 के विनियम 7(1) के अनुसार, भारत में एडी बैंकों को रुपया वोस्ट्रो अकाउंट (Rupee Vostro Accounts) खोलने की अनुमति दी गई है। किसी भी देश के साथ व्यापार लेनदेन के निपटान के लिए, भारत में एडी बैंक पार्टनर ट्रेडिंग देश के बैंक के स्पेशल रुपया वोस्ट्रो अकाउंट खोल सकते हैं।
इस व्यवस्था के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय व्यापार लेनदेन के निपटान की अनुमति देने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि भारत के आयातकों को भारतीय रुपये में पेमेंट करना होगा जिसे पार्टनर देश के बैंक के विशेष वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाएगा। इसके माध्यम से प्रोडक्ट्स और सर्विस का निर्यात करने वाले भारतीय निर्यातकों को पार्टनर देश के बैंक के नामित स्पेशल वोस्ट्रो अकाउंट में शेष राशि से भारतीय रुपये में निर्यात आय का भुगतान किया जाएगा।
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