निवेश पर जब विचार किया जाता है तो हाउसिंग एक बड़ा थीम साबित होता है। किसी खास थीम पर आधारित (थीमैटिक) फंड्स आपके पोर्टफोलियो का जरूरी हिस्सा होते हैं जो आपके दीर्घकालिक मुख्य निवेश के लिए पेरिफेरल्स के रूप में होते हैं, जो कि डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स होने चाहिए। ये आपके पोर्टफोलियो में वैल्यू जोड़ते हैं, लेकिन इनका परफार्मेंस साइक्लिकल होता है।
खास तौर हाउसिंग फंड्स में निवेश में अनेक सेक्टर्स शामिल होते हैं जिसमें सीमेंट, स्टील, इलेक्ट्रिकल्स, पाइप्स, सैनिटरी वेयर्स, तथा बैंक शामिल हैं। और इसलिए, यह किसी खास थीमैटिक फंड की तुलना में अधिक डायवर्सिफाइड होते है। हाउसिंग सेक्टर में जारी मौजूदा रूझान (ट्रेंड) और सपोर्टिंग आंकड़ों के आधार पर, ये कहा जा सकता है कि एक दशक की मंदी के बाद देश में हाउसिंग सेक्टर का रूझान आगे बढ़ते हुए नजर आ रहा है। यहां पर उन कुछ डेटा प्वाइंट्स का उल्लेख किया गया है जो हाउसिंग सेक्टर को निवेश के लिए आशाजनक सेक्टर बनाते हैं।
वर्तमान में, भारत खाद्यान्न और कपड़ों के मामले में आत्म-निर्भर देश है, लेकिन जब आवास की बात की जाती है, यह दुनिया से पीछे है। शहरीकरण में बढ़ोतरी, जिसमें हाल के दशकों में तेजी देखी गई है, इसमें अगले दशक में तेजी आने की संभावना है। इसके मायने हैं कि भारत के शहरी केन्द्र में, हाउसिंग मांग में बढ़ोतरी होगी। यह अनुमान है कि देश की जनसंख्या 2050 तक बढ़कर 1.7 बिलियन हो जाएगी। एकल परिवारों की बढ़ती संख्या से घरों की मांग अधिक होगी।
निवेश पर जब विचार किया जाता है तो हाउसिंग एक बड़ा थीम साबित होता है। किसी खास थीम पर आधारित (थीमैटिक) फंड्स आपके पोर्टफोलियो का ज़रूरी हिस्सा होते हैं जो आपके दीर्घकालिक मुख्य निवेश के लिए पेरिफेरल्स के रूप में होते हैं, जो कि डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स होने चाहिए। ये आपके पोर्टफोलियो में वैल्यू जोड़ते हैं, लेकिन इनका परफार्मेंस साइक्लिकल होता है।
खास तौर हाउसिंग फंड्स में निवेश में अनेक सेक्टर्स शामिल होते हैं जिसमें सीमेंट, स्टील, इलेक्ट्रिकल्स, पाइप्स, सैनिटरी वेयर्स, तथा बैंक शामिल हैं। और इसलिए, यह किसी खास थीमैटिक फंड की तुलना में अधिक डायवर्सिफाइड होते है। हाउसिंग सेक्टर में जारी मौजूदा रूझान (ट्रेंड) और सपोर्टिंग आंकड़ों के आधार पर, ये कहा जा सकता है कि एक दशक की मंदी के बाद देश में हाउसिंग सेक्टर का रूझान आगे बढ़ते हुए नज़र आ रहा है। यहां पर उन कुछ डेटा प्वाइंट्स का उल्लेख किया गया है जो हाउसिंग सेक्टर को निवेश के लिए आशाजनक सेक्टर बनाते हैं।
वर्तमान में, शहरी केन्द्र देश की कुल जनसंख्या (आबादी) का लगभग 35% है। यह विश्व के 54% के औसत से बहुत कम है। अन्य समान विकासशील अर्थव्यवस्थाओं जैसे ब्राज़ील, चीन और इंडोनिशिया की तुलना में, भारत को उनके बराबरी तक आने के लिए अभी लंबी दूरी तय करनी है। उदाहरण के लिए, इन तीन समकक्ष देशों में शहरी जनसंख्या का प्रतिशत क्रमश: 87%, 61% और 57% है। पिछले दशक के ऐतिहासिक रूझान यह दर्शाते हैं कि भारत की शहरी जनसंख्या का विकास ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली जनसंख्या वृद्धि की तुलना में 3.4 गुणा है। कृषि क्षेत्र में कम पारिश्रमिक, विस्तृत इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के साथ शहरी क्षेत्रों में बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण अगले दशक में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरों में पांच गुणा से अधिक विकास होने की संभावना है। इससे 2025 तक
वर्तमान की 400 मिलियन की तुलना में शहरी जनसंख्या 525 मिलियन होने की संभावना है। इसके अलावा, अगले दस वर्षों के दौरान लगभग 600 मिलियन लोगों के शहरों में रहने की उम्मीद है। भारत के शीर्ष 7 शहरों में हाउसिंग बिक्री को देखने से पता लगता है कि इसमें 113% की विशाल वृद्धि हुई है- जो कि इस बात का स्पष्ट संकेत है कि हाउसिंग साइकल संभवत: शुरू हो चुका है।
यहां यह नोट करना रुचिकर है कि भारत का इसके नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मॉर्गेज लोन सेग्मेंट के तौर पर केवल 10% की कम पैठ (पेनेट्रेशन) है। वैश्विक रूप से यह 30-90% जितना उच्च है। इतने बड़े गैप से भविष्य में विकास की संभावना नज़र आती है। होम लोन के लिए आसान एक्सेस के साथ-साथ 6.5% की ऐतिहासिक निम्न ब्याज दरें संभावित तौर पर मॉर्गेज लोन के लिए महत्वपूर्ण ड्राइविंग फोर्स साबित होने की संभावना है, जो हाउसिंग के लिए लाभदायक साबित होगी।
सरकार की प्रधान मंत्री अवास योजना के भाग के तौर पर निम्न- लागत अफॉर्डेबल हाउसिंग सेक्टर पर फोकस के कारण निवेश के नज़रिए से हाउसिंग सेगमेंट संभावित रूप से उच्च विकास सेक्टर बन जाता है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार ने इस स्कीम के अंतर्गत 2022-23 के दौरान 48,000/- करोड़ रूपये आवंटित किये हैं, जो कि पिछले वित्तीय वर्ष के 27,500/- करोड़ रूपये की तुलना में 75% बढ़ोतरी है। दूसरी तरफ पिछले वर्ष के 5.5 लाख करोड़ रूपये की तुलना में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए 7.5 लाख करोड़ रूपये के आंवटन से हाउसिंग सेक्टर में विकास होना तय नज़र आता है।
भारत में 2050 तक आश्रित जनसंख्या की तुलना में कमाई करने वाली जनसंख्या का उच्चतर अनुपात देखने को मिलने की संभावना है। यह हाउसिंग सेक्टर में मजबूत डेमोग्राफिक डिविडेंट फीलिंग वृद्धि को दर्शाता है। इसके अलावा, अनिवार्य रूप से इसका अर्थ है कि घरेलू आय में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे हाउसिंग सेक्टर में और अधिक विकास होगा।
उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, हाउसिंग थीम के उदीयमान होने के प्रारम्भिक संकेत नज़र आ रहे हैं। लेकिन, हाउसिंग थीम पर आधारित म्यूचुअल फंड स्कीमें हर निवेशक के लिए उपयुक्त प्रोडक्ट नहीं हो सकती हैं। कम जोखिम उठाने वाली निवेशकों को ऐसे फंड्स में निवेश से बचना चाहिए। क्योंकि हर निवेश का झुकाव थीम-आधारित स्टॉक में हो सकता है, यह सही मायनों में डायवर्सिफाइड स्कीम नहीं भी हो सकती है। यह अभी भी एक ब्रॉडर (व्यापक) थीम है जिसमें अनेक संबंधित सेक्टर्स शामिल होंगे जो डायवर्सिफाइड इक्विटी पोर्टफोलियो का महत्वपूर्ण हिस्सा होते है।
निवेशकों को दीर्घकालिक लाभों को देखने के लिए ऐसी स्कीमों में कम से कम 10 वर्ष की अवधि तक निवेश करना चाहिए। लेकिन आपको इस थीम में अपने पूरे पोर्टफोलियो का निवेश नहीं करना चाहिए। इस प्रकार के फंड्स के लिए कुल मिलाकर एक्स्पोज़र, सुरक्षित निवेश रणनीति के भाग के तौर पर आपके पोर्टफोलियो का 20% से अधिक नहीं होना चाहिए।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
Times Now Navbharat पर पढ़ें Business News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।