नया फाइनेंशियल ईयर शुरू हो गया है। कंपनियों या किसी संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों को नया वित्त वर्ष 2021-22 में निवेश घोषणा (इन्वेस्टमेंट डिक्लेरेशन) करने के लिए कहा जा रहा है। यानी इस वित्त वर्ष में आप इनकम टैक्स बचाने के लिए अपने पैसों का कहां-कहां खर्च करेंगे या निवेश करेंगे इसकी जानकारी कंपनी या संस्थान को बताया जाए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो इस महीने की सैलरी से इनकम टैक्स कटना शुरू हो जाएगा। इससे बचने के लिए आप जितना जल्द हो सकते इन्वेस्टमेंट डिक्लेरेशन का भर दें।
गौर हो कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में टैक्स बचत के लिए दो व्यवस्थाएं दी गईं थी। पहले से चली रही व्यवस्था के साथ-साथ नई व्यवस्था दी गई। ताकि डायरेक्ट टैक्सपेयर अपनी सुविधानुसार टैक्स की बचत की व्यवस्था चुन सकते हैं। आइए जानते हैं नई और पुरानी टैक्स व्यवस्था क्या है। कौन आपके लिए फायदेमंद है।
स्लैब (लाख रुपए में) | टैक्स रेट |
2.5 लाख रुपए तक | Nil |
2.5 लाख से 5 लाख तक | 5% |
5 लाख से 7.5 लाख तक | 10% |
7.5 लाख से 10 लाख तक | 15% |
10 लाख से 12.5 लाख तक | 20% |
12.5 लाख से 15 लाख तक | 25% |
15 लाख से ऊपर | 30% |
जैसा कि नाम से पता चलता है, विकल्प पुराने नियम के तहत है, छूट और छूट के साथ टैक्स की दरें वही रहेंगी जो वित्त वर्ष 2019-20 के लिए थीं। हम आपकी जानकारी के लिए टैक्स स्लैब दोहराते हैं।
स्लैब (लाख रुपए में) | टैक्स रेट |
2.5 लाख तक | Nil |
2.5 लाख से 5 लाख तक | 5% |
5 लाख से 10 लाख तक | 20% |
10 लाख से ऊपर | 30% |
पुरानी टैक्स व्यवस्था में निवेश पर मिली आ रही टैक्स छूट मिलती रहेंगी। लेकिन नई और पुरानी टैक्स व्यवस्था में आय पर लगने वाला टैक्स स्लैब अलग-अलग हैं। इसे गौर से ध्यान दें।
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