सरकारी कर्मचारियों को साल में 20 दिनों की छुट्टी लेना अनिवार्य है क्या? सरकार ने किया स्पष्ट

केंद्र सरकार के कर्मचारियों को साल में 20 दिनों की छुट्टी लेना अनिवार्य करने की मीडिया रिपोर्ट पर सरकार ने  स्पष्ट किया। 

Is it mandatory for central govt employees to take 20 days earned leave in a year? Government clarified
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 

केंद्र सरकार ने बुधवार को स्पष्ट किया कि स्थायी सरकारी कर्मचारियों (permanent government employees) के लिए हर साल 20 दिनों की अर्जित छुट्टी (earned leave) का लाभ लेना अनिवार्य नहीं है। सरकार ने मीडिया रिपोर्ट्स पर स्पष्ट करते हुए कहा कि यह दावा किया जा रहा है कि सरकार ने अपने स्थायी कर्मचारियों के लिए हर साल कम से कम 20 दिन की अर्नड लीव को जमा कर इनकैश कराने के बदले, छुट्टी लेना अनिवार्य कर दिया है, पर ऐसा नहीं किया गया है।

कुछ मीडिया रिपोर्टों ने पहले बताया गया था कि मोदी सरकार ने सभी केंद्र सरकार के कर्मचारियों को हर साल कम से कम 20 दिनों की अर्जित छुट्टी (earned leave) लेने के लिए एक नई लीव इनकैशमेंट पॉलिसी शुरू करने का फैसला किया है। रिपोर्ट में कहा गया कि श्रमिकों को छुट्टी जमा करने से रोकने के लिए यह किया गया था ताकि कर्मचारियों के लिए हेल्दी लाइफ बायलेंस को बढ़ावा दिया जा सके। यह दावा अब सरकार की सूचना शाखा प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB)की फैक्ट चेक शाखा ने इसे गलत बताया। 

अक्टूबर 2020 में, सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए LTC कैश वाउचर स्कीम की घोषणा की थी। इस स्कीम के लिए चयन करके, सरकारी कर्मचारी अवकाश यात्रा रियायत/अवकाश यात्रा भत्ता (LTA/LTC) के टैक्स फ्री भाग के बदले में सामान और सेवाएं खरीद सकते हैं। अगर वह निर्दिष्ट शर्तों को पूरा करके राशि खर्च की जाती है, तो वह यात्रा किराया पर टैक्स-छूट का दावा कर सकता है। 

बाद में, केंद्र सरकार ने गैर-केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए भी LTC कैश वाउचर स्कीम पर इनकम टैक्स लाभ को बढ़ाया। जिसमें प्राइवेट सेक्टर के वर्कर्स भी शामिल हैं। सरकार की LTC कॉरपोरेट सेक्टर के LTA अलग है।

वित्त मंत्रालय ने एक नोट में कहा कि सरकार की LTC कॉर्पोरेट सेक्टर में छुट्टी यात्रा भत्ता से काफी अलग है। LTC का दावा करने वाला व्यक्ति तब तक पात्र नहीं है जब तक वह वास्तव में यात्रा नहीं करता है; अगर वह यात्रा करने में विफल रहता है, तो उसके वेतन से राशि काट ली जाती है और वह अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी हो सकता है। उनके पास धन रखने और इनकम टैक्स का भुगतान करने का विकल्प नहीं है।

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