नई दिल्ली। मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स और ईंधन के उत्पादों की कीमत के कमी की वजह से पिछले महीने यानी जून 2022 में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) मुद्रास्फीति कम होकर 15.18 फीसदी पर आ गई। इससे पिछले महीने यानी मई 2022 में थोक मुद्रास्फीति 15.88 के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी। वहीं जून 2021 में यह यांकड़ा 12.07 फीसदी था। गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य वस्तुओं के दामों में तेजी बनी रही।
सरकारी आंकड़ों को देखें, तो थोक मुद्रास्फीति बढ़ने का तीन महीने से जारी चलन बंद हो गया है, लेकिन अप्रैल 2021 से थोक मुद्रास्फीति लगातार 15वें महीने 10 फीसदी से ऊंची बनी हुई है। जून 2022 में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 14.39 फीसदी रही, जो मई में 12.34 फीसदी थी।
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इसी तरह सब्जियों की मूल्यवृद्धि 56.75 फीसदी पर पहुंच गई। इस दौरान आलू के दाम 39.38 फीसदी और फलों के दाम 20.33 फीसदी बढ़े। फ्यूल और पावर की मुद्रास्फीति 40.38 फीसदी, विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति 9.19 फीसदी और कच्चे पेट्रोलियम एवं नैचुरल गैस में मुद्रास्फीति 77.29 फीसदी रही।
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जून में इतनी रही खुदरा मुद्रास्फीति
मौद्रिक नीति तैयार करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मुख्य रूप से रिटेल महंगाई को देखता है। केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक अगले महीने 2 अगस्त से 4 अगस्त को होनी है। खुदरा मुद्रास्फीति लगातार छठे महीने भारतीय रिजर्व बैंक के कम्फर्ट स्तर से ऊपर रही। यह जून में 7.01 फीसदी पर थी।
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