हर कोई चाहता है कि उसका अपना एक घर हो। कुछ सुविधा-संपन्न लोगों को छोड़कर, अधिकांश लोगों को एक घर खरीदने के लिए होम लोन लेना पड़ता है। होम लोन, जवानी में लेना बेहतर होता है लेकिन कभी-कभी रिटायरमेंट के बाद भी होम लोन चुकाने का काम चलता रहता है। यदि आप रिटायर्ड हैं और होम लोन लेने की सोच रहे हैं तो होम लोन मिलना आपके लिए नामुमकिन तो नहीं लेकिन मुश्किल जरूर हो सकता है। इसलिए, रिटायरमेंट के बाद होम लोन लेते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें।
इस उम्मीद में एक साथ कई लोन के लिए अप्लाई न करें कि कोई-न-कोई तो सेंक्शन हो ही जाएगा क्योंकि आप जितनी बार लोन के लिए अप्लाई करेंगे, उधारदाता उतनी बार एक्स्पेरियन और सिबिल जैसे क्रेडिट ब्यूरो के माध्यम से आपके क्रेडिट स्कोर की जांच करेंगे, और एक साथ कई बार जांच के कारण आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है। आपको सबसे पहले अपनी लोन सम्बन्धी योग्यता का पता लगाना चाहिए क्योंकि अलग-अलग बैंक के योग्यता सम्बन्धी मानदंड अलग-अलग होते हैं। आप बैंक की वेबसाइट्स या लोन एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म्स पर जाकर लोन ऑप्शंस की तुलना कर सकते हैं। उधारदाता के साथ अपनी योग्यता की जांच करें। इंटरेस्ट रेट्स और लोन टेन्योर्स की दृष्टि से बेस्ट ऑप्शंस को शॉर्टलिस्ट करें, और उस उधारदाता के पास लोन के लिए अप्लाई करें जिसका लोन आपकी जरूरतों को सबसे अच्छी तरह पूरा करता हो।
सभी उधारदाता, क्रेडिट स्कोर्स को बहुत ज्यादा महत्व देते हैं। स्कोर 750 या उससे अधिक होने पर सबसे कम इंटरेस्ट रेट पर होम लोन मिल सकता है। क्रेडिट स्कोर जितना ज्यादा होगा, इंटरेस्ट रेट उतना कम, और स्कोर जितना कम होगा, इंटरेस्ट रेट उतना ज्यादा होगा।
नौजवान, वेतनभोगी, और अच्छे क्रेडिट स्कोर वाला एक जॉइंट एप्लिकेंट होने पर लोन अप्रूव होने का चांस बढ़ जाता है। होम लोन के लिए जॉइंट एप्लीकेशन करने पर, लोन चुकाने की जिम्मेदारी, सभी उधारकर्ताओं में बंट जाती है, जिससे उधारदाता को लोन का पैसा वापस मिलने की सम्भावना बढ़ जाती है। इससे सह-उधारकर्ताओं को एडिशनल टैक्स बेनिफिट भी मिलता है जो उनके बीच उनके सह-उधार अनुपात में बंट जाता है। जॉइंट एप्लिकेंट, पति/पत्नी या बच्चा होने पर, ज्यादा लोन मिल सकता है। सह-उधारकर्ता महिला होने पर, इंटरेस्ट रेट कम हो सकता है। प्रत्येक होम लोन एप्लिकेंट, इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 24 (इंटरेस्ट रिपेमेंट्स के लिए) और 80C (प्रिंसिपल रिपेमेंट्स के लिए) के तहत इनकम टैक्स डिडक्शन का लाभ उठा सकता है। याद रखें, सह-आवेदक, प्रॉपर्टी का सह-मालिक भी होना चाहिए।
होम लोन अमाउंट और प्रॉपर्टी के मार्केट वैल्यू के अनुपात को लोन टू वैल्यू (LTV) अनुपात कहा जाता है। यदि खरीदी जानी वाली प्रॉपर्टी की कीमत, 1 करोड़ रु. है और आप 60 लाख रु. का लोन चाहते हैं तो LTV, 60% होगा। LTV ज्यादा होने पर उधारदाता के लिए रिस्क बढ़ जाता है, और कम होने पर रिस्क घट जाता है। इसलिए, लोन मिलना आसान बनाने के लिए, ज्यादा डाउन पेमेंट करें, और अपनी योग्यता से कम लोन लें। इससे EMIs कम रहेगी और जल्दी लोन चुकाने में मदद मिलेगी।
जिस लोन के साथ कोई गारंटी या जमानत दी जाती है उसे सिक्योर्ड लोन कहते हैं। अनसिक्योर्ड लोन की तुलना में सिक्योर्ड लोन मिलना ज्यादा आसान होता है और उधारदाता को रिटायर्ड लोगों को लोन देने में हिचकिचाहट नहीं होती है। जल्दी से लोन पाने के लिए आप फिक्स्ड डिपोजिट, बॉन्ड्स, इक्विटी म्यूच्यूअल फंड्स, जैसे इन्वेस्टमेंट्स या कोई दूसरी प्रॉपर्टी भी गिरवी रख सकते हैं।
रेगुलर इनकम का प्रमाण दिखा पाने पर, रिटायर्ड लोगों को होम लोन मिलने में ज्यादा आसानी होगी। पेंशन के माध्यम से सुनिश्चित इनकम इसमें काफी मददगार साबित होगा।
पेंशन फिक्स्ड रह सकता है जबकि आपके रेगुलर और हेल्थकेयर खर्च समय के साथ बढ़ सकते हैं। इसलिए EMI को कम-से-कम रखें ताकि आप उसे आसानी से देते रह सकें। उपरोक्त बातों का ध्यान रखने पर, आपका होम लोन एप्लीकेशन प्रोसेस, आसान और परेशानी-मुक्त रहेगा।
इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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