Loan Moratorium: कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया गया था। जिसकी वजह से आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई थीं। करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए थे। लोगों की कमाई घट गई थी। इसलिए आम लोगों को लोन की ईएमआई चुकाने में राहत देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लोन मोरेटोरियम की सुविधा देने का फैसला किया। यह सुविधा 6 महीने के लिए दी गई। जिसकी मियाद 31 अगस्त को खत्म हो गई। लेकिन कर्जदारों को मोरेटोरियम के दौरान लोन पर लगने वाले ब्याज से राहत, ब्याज पर ब्याज से राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया। सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई कर रही है। अगली सुनवाई 28 सितंबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इस पर ठोस फैसले लेने के लिए कहा है। सरकार ने इस पर विचार के लिए कमिटी बनाई है।
सरकार ने गुरुवार को लॉकडाउन के दौरान बैंक लोन की किस्त चुकाने पर दी गई छूट अवधि में कर्जदारों को ब्याज से राहत, ब्याज पर ब्याज से राहत समेत अन्य मुद्दों पर समग्र रूप से आकलन करने के लिए पूर्व CAG राजीव महर्षि की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की एक्सपर्ट्स कमिटी का गठन किया है। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी रिलीज में यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि कमिटी एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट दे देगी। स्टेट बैंक कमिटी को सचिवालय सुविधाएं उपलब्ध कराएगा। कमिटी इस बारे में बैंकों और अन्य संबद्ध पक्षों से भी विचार विमर्श कर सकगी।
भारत के पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) राजीव महर्षि की अध्यक्षता में गठित कमिटी में दो अन्य सदस्य आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व प्रोफेसर और रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति कमिटी के पूर्व सदस्य डॉ. रविन्द्र ढोलकिया, भारतीय स्टेट बैंक और आईडीबीआई बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक बी. श्रीराम शामिल हैं।
कमिटी कोविड- 19 अवधि के दौरान लोन किस्त पर दी गई छूट अवधि में ब्याज और ब्याज पर ब्याज से राहत दिए जाने का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करेगी। कमिटी समाज के विभिन्न वर्गों पर पड़ने वाले वित्तीय संकट को कम करने और उपायों के बारे में भी सुझाव देगी। मौजूदा स्थिति में और भी कोई सुझाव अथवा विचार कमिटी सौंप सकेगी।
रिलीज में कहा गया है कि लॉकडाउन अवधि के ब्याज को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में कई तरह की चिंताओं को उठाया गया। यह मामला गजेन्द्र शर्मा ने भारत सरकार और अन्य के खिलाफ दायर किया है। याचिका में छूट अवधि के दौरान ब्याज, ब्याज पर ब्याज और अन्य संबंधित मुद्दों में राहत दिए जाने का आग्रह किया गया है।
सरकारी रिलीज में कहा गया है कि सरकार ने इसी के मद्देनजर इस पूरे मामले पर समग्र आकलन करने के लिए एक एक्सपर्ट्स कमिटी का गठन किया है ताकि इस संबंध में बेहतर फैसला लिया जा सके।
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