नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से उस अंतरिम आदेश को हटाने का आग्रह किया, जिसमें कहा गया है कि इस साल 31 अगस्त तक जिन खातों को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित नहीं किया है, उन्हें अगले आदेश तक एनपीए घोषित नहीं किया जाएगा। आरबीआई ने कहा कि इस आदेश के चलते उसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कोविड-19 महामारी के प्रकोप के चलते कठिनाइयों का सामना कर रहे कर्जदारों को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सितंबर को अंतरिम आदेश पारित किया था।
आरबीआई की तरफ से पेश वकील ने जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बैंच से यह बात कही। बैंच ईएमआई पर बैंकों द्वारा ब्याज पर ब्याज लिए जाने से संबंधित कई याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी। महामारी के चलते लाई गई लोन किस्त मोरेटोरियम योजना के तहत कर्जदारों ने इन ईएमआई का भुगतान नहीं किया था। आरबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी गिरी ने अंतरिम आदेश को वापस लेने का अनुरोध करते हुए कहा कि हमें एनपीए पर प्रतिबंध लगाने के आदेश के कारण कठिनाई हो रही है।
आरबीआई और वित्त मंत्रालय पहले ही अलग-अलग हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट कह चुके हैं कि बैंक, वित्तीय और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान लोन किस्त मोरेटोरियम योजना के तहत पात्र कर्जदारों के खातों में उनसे लिए गए चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के बीच के अंतर को 5 नवंबर तक जमा करने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे।
एक याचिकाकर्ता की तरफ से उपस्थित हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्ता ने पीठ को बताया कि वे छोटे कर्जदारों की तरफ से केंद्र और आरबीआई के प्रति आभारी हैं और अब उनकी याचिका को निस्तारित कर दिया जाए। एक अन्य याचिकाकर्ता की तरफ से उपस्थित हुए वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी ने कहा कि बिजली क्षेत्र की समस्याओं को सुनने की जरूरत है। बैंच ने कहा कि वह इस पर 18 नवंबर को सुनवाई करेगी।
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