लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) के दौरान ब्याज पर ब्याज मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह जल्द से जल्द ब्याज माफी योजना (interest waiver scheme) को लागू करे। शीर्ष अदालत ने सुनवाई को 2 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि बैंक ब्याज पर ब्याज माफ देंगे और फिर सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाएगा और गणना के अलग-अलग तौर-तरीके होंगे। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बैंक हमें एक उचित प्रारूप प्रदान करे।
सरकार ने शनिवार को कहा था कि वह अगस्त के अंत तक छह महीने के लिए 2 करोड़ तक के लोन पर ब्याज पर ब्याज (Interest on Interest) माफ कर देगी। आरबीआई ने मार्च में तीन महीने के लिए टर्म डिपॉजिट की अदायगी के लिए मोरेटोरियम की घोषणा की थी, जिसे बाद इसे 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया था। इस कदम का मकसद कर्जदारों को COVID-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गिरावट के बीच राहत प्रदान करना था और उन्हें अपने ईएमआई भुगतान करने के लिए और समय देने की उम्मीद थी।
शीर्ष अदालत ने 3 सितंबर को एक अंतरिम निर्देश पारित किया कि 31 अगस्त तक के खातों को एनपीए घोषित नहीं करें और अगले आदेश तक एनपीए घोषित नहीं किया जाएगा। मार्च में, भारतीय रिजर्व बैंक ने 1 मार्च से 31 मई के बीच अवधि के लोन लेने वालों को ईएमआई चुकाने पर तीन महीने की मोहलत दी थी। बाद में मोरेटोरियम को 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया था।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 10 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि यदि एनपीए खाता वर्गीकरण पर रोक तुरंत नहीं हटाई जाती है, तो यह आरबीआई के नियामक आदेश को कम करने के अलावा, बैंकिंग सिस्टम पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
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