नई दिल्ली। भगौड़े मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) की मुश्किलें और बढ़ गई है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मेहुल चोकसी और उनकी कंपनी गीतांजलि जेम्स के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में एक नया मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने मेहुल चोकसी और उनकी कंपनी के खिलाफ साल 2014 से 2018 के बीच इंडस्ट्रियल फाइनेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (IFCI) से कथित रूप से 22 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के लिए एफआईआर दर्ज की है।
कब दर्ज की गई एफआईआर
28 अप्रैल को दर्ज एफआईआर में कहा गया कि गीतांजलि जेम्स, आईटी निदेशक चोकसी और अन्य आरोपी आईएफसीआई को धोखा देने की आपराधिक साजिश में शामिल थे। इंडस्ट्रियल फाइनेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, मुंबई की सहायक महाप्रबंधक (कानून) यामिनी दास से एक लिखित शिकायत प्राप्त हुई थी। एफआईआर में कहा गया है कि, आरोप लगाया गया था कि गीतांजलि जेम्स लिमिटेड (GGL), मेहुल चोकसी और अन्य आरोपी वर्ष 2014 से 2018 की अवधि के दौरान आईएफसीआई को धोखा देने के लिए एक आपराधिक साजिश के पक्ष थे।'
क्या है मामला?
इसमें कहा गया कि गीतांजलि जेम्स ने अपने निदेशक चोकसी के माध्यम से आईएफसीआई से संपर्क किया और अपनी लॉन्ग चर्म कैपिटल की आवश्यकता को पूरा करने के लिए वित्तीय सहायता की मांग की। इसके लिए मार्च 2016 में आईएफसीआई को 25 करोड़ रुपये के कॉर्पोरेट लोन को मंजूरी देने के लिए कहा। यह सोन स्वीकृत किया गया और गीतांजलि जेम्स को वितरित भी हुआ।
आईएफसीआई ने सिक्योरिटी के लिए दो मूल्यांकनकर्ताओं को नियुक्त किया- मार्कंडेय (मिनरल कंसल्टेंट्स एंड ट्रेडर्स) और आर्क कंसल्टेंट्स एंड वैल्यूर्स। इन्होंने गिरवी रखे हुए गहनों, जैसे सोने, हीरे, आदि का 29 जून 2018 और 1 अगस्त 2018 को मूल्यांकन किया।
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