नई दिल्ली। 18 जुलाई 2022 से देश में दाल, अनाज, आटा, आदि जैसे खाद्य पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाया गया। इसके बाद विपक्ष ने महंगाई का मुद्दा उठाया। संसद में आज हंगामा भी हुआ। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने खाने की वस्तुओं को माल एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाने के लिए केंद्र सरकार पर 'वसूली सरकार' होने का आरोप लगाया। अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस बारे में झूठी अफवाहें फैली हुई हैं और ट्वीट कर तथ्यों को सामने रखा।
उन्होंने ट्वीट किया कि, 'क्या यह पहली बार है जब खाद्य पदार्थों पर टैक्स लगाया जा रहा है? नहीं, राज्य जीएसटी पूर्व व्यवस्था में खाद्यान्न से राजस्व एकत्र कर रहे थे। अकेले पंजाब ने खरीद टैक्स के रूप में खाद्यान्न पर 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की वसूली की है। उत्तर प्रदेश ने 700 करोड़ रुपये बटोरे हैं।'
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जब जीएसटी लागू किया गया था, तब ब्रांडेड अनाज, दाल, आटे पर 5 फीसदी की जीएसटी दर लागू की गई थी। बाद में इसे सिर्फ उन्हीं प्रोडक्ट्स पर टैक्स लगाने के लिए संशोधित किया गया था जो रजिस्टर्ड ब्रांड हैं। हालांकि, बाद में प्रतिष्ठित निर्माताओं और ब्रांड मालिकों द्वारा इस प्रावधान का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग होने लगा और धीरे-धीरे इन वस्तुओं से जीएसटी राजस्व में काफी गिरावट आई।
सप्लायर्स ने किया था विरोध
इसका उन संघों द्वारा विरोध किया गया जो ब्रांडेड सामानों पर टैक्स का भुगतान कर रहे थे। उन्होंने इस तरह के दुरुपयोग को रोकने के लिए सभी पैकेज्ड वस्तुओं पर समान रूप से जीएसटी लगाने के लिए आग्रह किया था। टैक्स में इस बड़े पैमाने पर चोरी को राज्यों द्वारा भी देखा गया था।
फिटमेंट कमेटी ने भी कई बैठकों में इस मुद्दे की जांच की थी और दुरुपयोग को रोकने के लिए तौर-तरीकों को बदलने के लिए अपनी सिफारिशें की थीं। फिटमेंट कमेटी में राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा और गुजरात के अधिकारी शामिल थे।
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