भारत में तेल की कीमतों में पिछले 12 दिनों में 10वीं बार बढ़ोतरी हो चुकी है। तेल की कीमतों के पीछे अंतरराष्ट्रीय हालात और कच्चे तेल की कीमतों को जिम्मेदार बताया जा रहा है। इस संदर्भ में जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सवाल किया गया कि क्या रूस से तेल की खरीद को भारत जारी रखेगा तो उनका सीधा और स्पष्ट जवाब था क्यों नहीं देश का हित सबसे पहले। बता दें कि रूस ने हाल ही में भारत को छूट के साथ कच्चा तेल देने की भी पेशकश कर चुका है।
कच्चे तेल की खरीद जारी, किसी तरह का दबाव नहीं
एक टीवी चैनल से बातचीत में निर्मला सीतारमण ने कहा कि चल रहे युद्ध के बीच हमने (रूस से तेल) खरीदना शुरू कर दिया है। हमें काफी बैरल मिले हैं। मैं आपूर्ति के बारे में 3-4 दिनों के बारे में सोचूंगा, और यह जारी रहेगा। भारत के समग्र हित को ध्यान में रखा जाता है। उन्होंने कहा कि सभी देश संप्रभु हैं, उनकी अपनी स्वतंत्र विदेश नीति है, किसी तरह के दबाव जैसी बात नहीं है।
अपने लोगों के फायदे के लिए बाजार की तलाश गलत कैसे
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहले ही देश की भूमिका स्पष्ट करते हुए कहा था कि भारत की कच्चे तेल की खरीद का 1% से भी कम रूस से है, रूसी तेल और गैस के प्रमुख खरीदार यूरोप से हैं। उन्होंने कहा था कि जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो लगता है कि देशों के लिए बाजार में जाना और अपने लोगों के लिए अच्छे सौदे देखना स्वाभाविक है।
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भारत को रूस 35 डॉलर प्रति बैरल तेल बेचने के लिए तैयार
रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस भारत को 35 डॉलर प्रति बैरल तक हाई-ग्रेड तेल बेचने को तैयार है और चाहता है कि भारत पहले सौदे में 1.5 करोड़ बैरल खरीद ले।रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और कहा कि रूस कुछ भी देने को तैयार है जिसे भारत खरीदना चाहता है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए मॉस्को भारत और रूस के साथ व्यापार के लिए खुले अन्य देशों के साथ राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार करने की ओर बढ़ रहा है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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