प्रयागराज : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि किसानों की फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीसी) की तरह ही समुद्री मछुआरों की फिशिंग प्रोड्यूसर कंपनी बनाकर उनकी आमदनी बढ़ाने की योजना पर केंद्र सरकार काम कर रही है। गडकरी ने सीईईडब्लू इंडिया द्वारा आयोजित एक वेबिनार में कहा कि देश में मत्स्य अर्थव्यवस्था एक लाख करोड़ रुपए की है। इस अर्थव्यवस्था में एक समस्या है कि मछली पकड़ने वाली नौकाएं समुद्र में केवल सात नॉटिकल मील तक ही जा सकती हैं। कोचीन शिपयार्ड ने एक स्ट्रालर का आविष्कार किया है, जिसकी लागत एक करोड़ 25 लाख रुपए है। यह 100 नॉटिकल मील तक जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इस स्ट्रालर का विनिर्माण हमने कर लिया है और 100 स्ट्रालर तमिलनाडु को दिया है। हमने उन्हें सुझाव दिया कि आप इस स्ट्रालर से 100 नॉटिकल माइल तक जा सकते हैं। 100 नॉटिकल माइल जाकर मछली उत्पादन 6 गुना तक बढ़ा सकते हैं। इस तरह से हम 5 लाख करोड़ रुपए की एक नई अर्थव्यवस्था बना सकते हैं।
गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा पहले ही 20,000 करोड़ रुपए का मत्स्य पैकेज दिया जा चुका है। अब एमएसएमई, मत्स्य और कृषि मंत्री के साथ मिलकर हम फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की तर्ज पर फिशिंग प्रोड्यूसर कंपनी बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं, जिसमें यदि 5 मछुआरे एक समूह बनाकर 5-5 लाख रुपये का योगदान करते हैं तो इस कंपनी में उनकी 25 लाख रुपए इक्विटी पूंजी हो जाएगी। इन मंत्रालयों की ओर से एक करोड़ रुपए की सहायता से उनकी कंपनी को एक स्ट्रालर दिया जाएगा जिससे उनकी उत्पादकता पांच गुनी बढ़ जाएगी।
ग्रामीण और वनवासी क्षेत्रों में शहद से लोगों की आमदनी बढ़ाने को लेकर उन्होंने कहा कि शहद का उत्पादन हम 10 गुना बढ़ा रहे हैं। वर्धा में आचार्य विनोबा भावे संस्थान में गोरसपाक बिस्कुट गजब का स्वादिष्ट है। वे इसे बनाने में गाय का घी, गाय का दूध और शहद का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह बिस्कुट इतना लोकप्रिय है कि हमेशा बाजार में खत्म हो जाता है।
उन्होंने कहा कि मैंने मदर डेयरी से फॉर्मूला तैयार करने का अनुरोध किया है और मैं इस परियोजना को वर्धा में शुरू करने का प्रयास कर रहा हूं। इस बिस्किट का निर्यात हो सकता है। इसमें भारी मात्रा में शहद की खपत हो सकती है। इस तरह से हम शहद से बिस्कुट, चॉकलेट, मिठाई आदि बना सकते हैं। गडकरी ने कहा कि शहद को इतना महत्व देने की वजह यह भी है कि हरियाणा और पंजाब में शहद की वजह से कृषि उत्पादन 20 प्रतिशत बढ़ा है। इसी तरह से वनौषधियों का भी निर्यात किया जा सकता है।
सोलर चरखा के बारे में उन्होंने कहा कि हम सोलर चरखा को लेकर एक योजना बना रहे हैं, जिसमें हम कम से कम 10 लाख महिलाओं को दो-दो सोलर चरखा दे सकें। एक सोलर चरखे की कीमत 45,000 रुपए है। इसके लिए हम उन्हें एक लाख रुपए लोन देंगे। ये महिलाएं घर पर ही सोलर चरखे से धागे तैयार कर उन्हें पावरलूम और कपड़ा उद्योग को बेच सकेंगी।
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