यह वास्तव में बेहद गर्व का क्षण होता है जब आपको अपना पहली सैलरी मिलती है। आर्थिक तौर पर निर्भर से स्वतंत्र व्यक्ति बनने की दिशा में होने वाला यह बदलाव वस्तुतः आपको आत्मविश्वास और गर्व की भावना से भर देता है। इसके अलावा, यह भावना कि आपके पास भविष्य की जिम्मेदारियां उठा सकने की क्षमता आ गई है, आपको विकास के पथ पर आगे बढ़ने में मदद करती है।
अक्सर यह देखा गया है कि जब नियमित रूप से हर महीने बैंक खाते में पैसा आने लगता है तो हम खर्च को लेकर थोड़े लापरवाह हो जाते हैं। अपनी शर्तों पर जीवन का आनंद उठाना स्वाभाविक है क्योंकि अब आप स्वतंत्र हैं, हालांकि, अनियोजित ढंग से किए गए खर्च और बचत दोनों ही आगे चलकर आपकी वित्तीय स्वतंत्रता को गड़बड़ा सकते हैं। सही ढंग से वित्तीय योजना नहीं बनाने का मतलब यह नहीं है कि आप पर भारी कर्ज हो सकता है, बल्कि इसकी वजह से आपके पास उतनी बचत राशि नहीं रह सकती है जिससे आप स्वतंत्र रूप से ऐसी बड़ी योजनाएं बना सकें जिनके लिए पर्याप्त मात्रा में धनराशि की आवश्यकता होती है। इसलिए पैसे का सही तरीके से प्रबंधन करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि उसे कमाना।
जैसे ही आप कमाना शुरू करते हैं तभी निवेश शुरू करना आपकी पहली प्राथमिकताओं में से एक होना चाहिए। आदर्श रूप से, आपको अपने करिअर की शुरुआत में अपनी कमाई का कम से कम 30-35% हिसा निवेश करना चाहिए। आप जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, आपके लिए उतना ही अच्छा होगा। लेकिन आपको निवेश के बारे में सोच-समझकर फैसले लेने चाहिए और उन वित्तीय एजेंटों से बचना चाहिए जो आपको ऐसे वित्तीय उत्पाद गलत ढंग से बेच सकते हैं जो न तो आपके लिए फायदेमंद हैं और न ही आपके लिए उपयुक्त हैं।
यहाँ वे 5 तरह के निवेश दिए जा रहे हैं जिन पर आप अपनी पहली सैलरी मिलने के बाद विचार कर सकते हैं।
इक्विटी म्यूचुअल फंड में हर महीने सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) गौरतलब है। एसआईपी जब एक बार रजिस्टर्ड हो जाता है तो आपके द्वारा चुनी गई तारीख पर हर महीने आपके खाते से पूर्व-निर्धारित राशि काट ली जाएगी। लंबे समय में म्यूचुअल फंड के जरिए शेयरों में निवेश करके पैसा बनाने का सबसे सुविधाजनक तरीका ‘इक्विटी में एसआईपी’ है। दीर्घावधि में आप औसतन 15% चक्रवृद्धि वार्षिक रिटर्न प्राप्त करने का अनुमान रख सकते हैं।
बैंकों या डाकघर में पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) खाता खोलना ‘डेब्ट एसेट’ में निवेश करने का एक अच्छा तरीका है। सरकारी समर्थन के साथ इसमें मिलने वाला ब्याज दर अभी भी उच्चतम रूप से 7.1% है, जो पीपीएफ को अहम बनाता है। इसमें 15 साल की लॉक-इन अवधि होती है, हालांकि आप आंशिक रूप से पैसा निकाल सकते हैं। पीपीएफ में इस तरह का निवेश न केवल आपको सुरक्षित रूप से लंबी अवधि में पैसा बनाने में मदद करता है, बल्कि इसमें वार्षिक रूप से किया जाने वाला योगदान आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत टैक्स में छूट के लिए भी पात्र है। एक व्यक्ति इसमें अधिकतम 1.5 लाख रुपए और न्यूनतम 500 रुपए प्रति वर्ष तक निवेश कर सकता है।
स्वास्थ्य-संबंधी किसी भी अप्रत्याशित खर्च से बचने के लिए यह उचित होगा कि एक हेल्थ इंश्योरेंस कवर लें। हेल्थ इंश्योरेंस के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम अंततः एक बड़ा निवेश निर्णय साबित होगा क्योंकि यह न तो आपकी जेब से खर्च होगा, और न ही किसी चिकित्सा आपात स्थिति के दौरान आपके अन्य निवेशों को संभावित रूप से प्रभावित करेगा। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जब आप इसे 20-29 वर्ष की उम्र में खरीदते हैं तो आपके हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम 30-39 वर्ष की उम्र में इसे खरीदने की तुलना में कम होगा।
आप अपने मासिक निवेश का लगभग 5-10% हिस्सा गोल्ड म्यूचुअल फंड, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के जरिए डीमैटरियलाइज्ड गोल्ड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। फिजिकल गोल्ड रखने के बजाय डीमैट गोल्ड में निवेश करने से आपको मुद्रास्फीति के खिलाफ सुरक्षा मिलती है, साथ ही इससे डाइवर्सिफिकेशन में भी मदद मिलती है। इसके अलावा, फिजिकल गोल्ड की तुलना में इसे नकदी में बदलना अधिक आसान है, और इसमें वेस्टेज या मेकिंग चार्ज देने का झंझट भी नहीं है जो आपके निवेश मूल्य को कम करते हैं। न ही इसके साथ कोई भावनात्मक लगाव वाली बात है, जो इसे बेचना मुश्किल बना दे। ऐसी उम्मीद है कि अगले एक दशक में सोने की कीमतें और बढ़ेंगी, अतः डीमैट गोल्ड में निवेश पर विचार किया जा सकता है।
अपना कुल मासिक खर्च निकालने के बाद, बची हुई राशि को अपने बैंक खाते में बेकार रखने के बजाय किसी लिक्विड फंड में लगाएं। एक लिक्विड म्यूचुअल फंड अल्पावधि के लिए डेब्ट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करता है। आमतौर पर, बैंकों के बचत खाते की तुलना में लिक्विड फंड में रखे गए पैसे पर बेहतर रिटर्न मिलता है। इस तरह, आपकी बचत न केवल सुरक्षित रहती है बल्कि तुलनात्मक रूप से उस पर बेहतर ब्याज मिलता है। आप अपनी जरूरत के हिसाब से मनचाही रकम निकाल सकते हैं, और बाकी पैसा निवेशित बना रहेगा। इस तरह, आप आसान उपलब्धता वाला एक आपातकालीन कोष भी बना सकते हैं जिसका उपयोग किसी संकट या विपत्ति के समय किया जा सकता है।
निवेश के विभिन्न तरीकों पर निर्णय लेते समय, एक युवा निवेशक को चाहिए कि वह इक्विटी-ओरिएंटेड निवेश साधन की ओर अधिक झुकाव वाले एसेट एलोकेशन को अहमियत दे। हालाँकि कोई स्थापित नियम नहीं है लेकिन एक अच्छा निवेश दृष्टिकोण वह है जो सुनिश्चित करे कि आपके कुल पोर्टफोलियो में इक्विटी निवेश की हिस्सेदारी 60-70% है। डेब्ट एसेट में 20-30% हिस्सा लगा सकते हैं जबकि बाकी आपको सोने में लगाना चाहिए। इक्विटी निवेश आम तौर पर लंबी अवधि में मुद्रास्फीति को व्यापक अंतर के साथ मात देते हैं।
चूंकि 20-29 वर्ष के एक युवा निवेशक के पास 30 साल से अधिक का कामकाजी जीवन होता है, इसलिए उन्हें 45 साल की उम्र तक इक्विटी निवेश पर अधिक ध्यान देना चाहिए। दो दशकों से अधिक समय तक इक्विटी में हाई एक्सपोजर से न सिर्फ पर्याप्त धन सृजन होगा बल्कि इससे आपकी वित्तीय स्थिति भी काफी मजबूत बनेगी। तो निवेश की गाड़ी को न छोड़ें, और पर्याप्त धन सृजन का फायदा उठाने के लिए जल्दी निवेश शुरू करें।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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